भाग 12
परमेश्वर की बुद्धि-भरी सलाह दिखाती है सही राह
नीतिवचन की किताब में परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी ढेरों सलाहें हैं। ये सलाहें रोज़मर्रा की ज़िंदगी के लिए बहुत फायदेमंद हैं। इनमें से ज़्यादातर सलाहें सुलैमान ने दर्ज़ की हैं
क्या यहोवा बुद्धिमान राजा है? इस सवाल का जवाब जानने का बढ़िया तरीका है, उसकी दी सलाहों की जाँच करना। क्या ये सलाहें कारगर हैं? क्या उन्हें मानने से हमारी ज़िंदगी सँवर जाती हैं और हमें जीने का सच्चा मकसद मिलता है? बुद्धिमान राजा सुलैमान ने सैकड़ों नीतिवचन या कहावतें लिखीं, जो ज़िंदगी के करीब हर पहलुओं से ताल्लुक रखती हैं। आइए इनमें से कुछ पर गौर करें।
परमेश्वर पर भरोसा रखना। परमेश्वर के साथ एक बढ़िया रिश्ता बनाने के लिए उस पर भरोसा रखना निहायत ज़रूरी है। सुलैमान ने लिखा: “तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।” (नीतिवचन 3:5, 6) हम परमेश्वर पर अपना भरोसा कैसे दिखा सकते हैं? उससे निर्देशन माँगकर और उसकी आज्ञाओं पर चलकर। इस तरह हमें जीने का सच्चा मकसद मिलेगा। यही नहीं, हम यहोवा का दिल भी खुश कर पाएँगे। और यह साबित कर पाएँगे कि परमेश्वर के दुश्मन शैतान ने जो मसले उठाए हैं, उनमें हम यहोवा की तरफ हैं।—नीतिवचन 27:11.
दूसरों के साथ समझदारी से पेश आना। पति-पत्नियों और बच्चों के लिए परमेश्वर की सलाह मानना आज और भी ज़रूरी हो गया है। परमेश्वर पतियों से कहता है: “अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित रह।” इसका मतलब है कि वे अपनी पत्नी से वफादारी निभाएँ। (नीतिवचन 5:18-20) पत्नियों के लिए भी नीतिवचन की किताब में सलाह दी गयी है। इसमें बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में एक गुणवंती पत्नी के बारे में बताया गया है, जिसका पति और बच्चे दोनों उसकी तारीफ करते हैं। (नीतिवचन, अध्याय 31) बच्चों को नसीहत दी गयी है कि वे अपने माँ-बाप की बात मानें। (नीतिवचन 6:20) किताब यह भी बताती है कि दोस्ती करना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि जो इंसान हमेशा दूसरों से अलग रहता है वह खुदगर्ज़ बन जाता है। (नीतिवचन 18:1) दोस्तों का हम पर या तो अच्छा असर हो सकता है या फिर बुरा, इसलिए हमें सोच-समझकर दोस्ती करनी चाहिए।—नीतिवचन 13:20; 17:17.
खुद का अच्छा खयाल रखना। नीतिवचन की किताब में ज़्यादा शराब न पीने, ज़िंदगी में सही नज़रिया बनाए रखने, बुरी भावनाओं से लड़ने और मेहनती बनने की बढ़िया सलाहें दी गयी हैं। (नीतिवचन 6:6; 14:30; 20:1) यह इंसान की सलाहों पर भरोसा रखने से खबरदार करती है, जो परमेश्वर की सोच से मेल नहीं खातीं। क्योंकि उन सलाहों पर चलने से एक व्यक्ति मुसीबत में फँस जाता है। (नीतिवचन 14:12) यह हमसे गुज़ारिश करती है कि हम अपने मन को बुरी बातों से बचाए रखें, क्योंकि मन ही “जीवन का मूल स्रोत है।”—नीतिवचन 4:23.
दुनिया के लाखों लोगों ने ऊपर बतायी सलाहें आज़मायी हैं और वे एक खुशहाल ज़िंदगी जी रहे हैं। इसलिए अब उनके मन में कोई शक नहीं कि यहोवा वाकई बुद्धिमान राजा है!
—यह भाग नीतिवचन की किताब पर आधारित है।