शासी निकाय की तरफ से खत
प्यारे भाइयो और बहनो:
1 जनवरी, 2008 से जनता के लिए प्रकाशित प्रहरीदुर्ग में इस शीर्षक पर लेख छपने लगे, “उनके विश्वास की मिसाल पर चलिए।” समय-समय पर प्रकाशित होनेवाले ये लेख बड़े ही दिलचस्प होते हैं और इन्हें पढ़कर हमें बहुत खुशी होती है।
लोगों ने इन लेखों के बारे में क्या कहा है? मारथा के बारे में लेख पढ़ने के बाद एक बहन ने लिखा, “वह लेख पढ़ते वक्त मुझे खुद पर हँसी आयी क्योंकि मैं भी मारथा जैसी हूँ। मैं जब मेहमानों को घर बुलाती हूँ तो उनकी खातिरदारी करने में इतनी खो जाती हूँ कि यह बात भूल जाती हूँ कि मुझे भी उनके साथ बैठकर उनकी संगति का आनंद लेना चाहिए।” पंद्रह साल की एक लड़की ने एस्तेर की कहानी पढ़ने के बाद यह दिलचस्प बात कही, “मुझे यह बात समझते देर नहीं लगी कि हम पर कपड़ों और नए-नए फैशन का जुनून सवार हो सकता है। यह सच है कि हमें अच्छे कपड़े पहनने चाहिए और अच्छा दिखना चाहिए, फिर भी हमें इस मामले में हद पार नहीं करनी चाहिए।” उसने यह भी कहा, “यहोवा यह देखता है कि हम अंदर से कैसे इंसान हैं।” प्रेषित पतरस पर छपा लेख एक बहन को इतना अच्छा लगा कि उसने कहा, “मैं लेख में इस तरह खो गयी कि क्या बताऊँ! सारी घटनाएँ मानो मेरी आँखों के सामने हो रही थीं। बाइबल में जिन बातों का सिर्फ सुराग मिलता है उनके बारे में लेख में इतनी बढ़िया जानकारी दी गयी है कि उसे पढ़ते वक्त मैं महसूस कर पायी कि वे घटनाएँ किस तरह घटी होंगी।”
इनके जैसे अनगिनत लोगों ने खत लिखकर बताया है कि उन्हें ये लेख बहुत अच्छे लगे और इनसे उन्हें बहुत फायदा हुआ है। यह दिखाता है कि प्रेषित पौलुस ने लंबे अरसे पहले जो लिखा था वह कितना सच है: “जो बातें पहले से लिखी गयी थीं, वे इसलिए लिखी गयीं कि हम उनसे सीखें।” (रोमि. 15:4) जी हाँ, यहोवा ने बाइबल में ये वाकए इसलिए लिखवाए ताकि हम उनसे अनमोल बातें सीखें। हम सब इन वाकयों से बहुत कुछ सीख सकते हैं, फिर चाहे हम कितने ही सालों से सच्चाई में क्यों न हों।
हम आपको बढ़ावा देते हैं कि आप इस किताब को जितनी जल्दी हो सके पढ़ना शुरू कीजिए। पारिवारिक उपासना में भी इसका अध्ययन कीजिए। आपके बच्चों को बहुत मज़ा आएगा! जब मंडली के बाइबल अध्ययन में इस पर चर्चा की जाएगी तो एक भी सभा में जाने से मत चूकिए! इस किताब को फटाफट पढ़कर खत्म करने के बजाय वक्त लेकर आराम से पढ़िए। अपने मन में घटनाओं की तसवीर बनाने की कोशिश कीजिए। बाइबल के किरदारों की भावनाओं को महसूस कीजिए और उनके सामने जो-जो हुआ था उसे अपने मन की आँखों से देखिए। गौर कीजिए कि जब उनके सामने कुछ हालात पैदा हुए तो उन्होंने क्या किया था और फिर रुककर सोचिए कि अगर आप उनकी जगह होते तो क्या करते।
आप तक यह किताब पहुँचाते हुए हमें बड़ी खुशी हो रही है! हम दुआ करते हैं कि यह किताब आपके लिए और आपके परिवार के लिए एक आशीष साबित हो। हम आपसे बहुत प्यार करते हैं और आपको शुभकामनाएँ देते हैं।
यहोवा के साक्षियों का शासी निकाय