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अध्ययन लेख 35

गीत 123 यहोवा की हुकूमत कबूल करें

उनकी मदद कीजिए जिन्हें मंडली से निकाल दिया गया है

उनकी मदद कीजिए जिन्हें मंडली से निकाल दिया गया है

“एक पापी के पश्‍चाताप करने पर स्वर्ग में इतनी ज़्यादा खुशियाँ मनायी जाएँगी, जितनी कि ऐसे 99 नेक लोगों के लिए नहीं मनायी जातीं, जिन्हें पश्‍चाताप की ज़रूरत नहीं।”लूका 15:7.

क्या सीखेंगे?

कुछ लोगों को मंडली से क्यों निकाल दिया जाता है और प्राचीन पश्‍चाताप करने में और यहोवा के साथ दोबारा रिश्‍ता मज़बूत करने में कैसे उनकी मदद कर सकते हैं?

1-2. (क) जब कोई गंभीर पाप करता है और पश्‍चाताप नहीं करता, तो यहोवा को कैसा लगता है? (ख) यहोवा पाप करनेवालों से क्या चाहता है?

 यहोवा को पाप से सख्त नफरत है और वह बुरे कामों को बरदाश्‍त नहीं करता। (भज. 5:4-6) वह चाहता है कि हम उन नेक स्तरों को मानें जो उसने अपने वचन बाइबल में लिखवाए हैं। पर यहोवा जानता है कि हम अपरिपूर्ण हैं, इसलिए वह हमसे यह उम्मीद नहीं करता कि हम कभी कोई गलती नहीं करेंगे। (भज. 130:3, 4) लेकिन हाँ, उसे ऐसे “भक्‍तिहीन” लोग बिलकुल बरदाश्‍त नहीं, जो उसकी “महा-कृपा को निर्लज्ज काम करने का बहाना” बना लेते हैं। (यहू. 4) बाइबल में बताया है कि यहोवा आनेवाले हर-मगिदोन के युद्ध में ‘भक्‍तिहीन लोगों का नाश’ कर देगा।—2 पत. 3:7; प्रका. 16:16.

2 लेकिन यहोवा नहीं चाहता कि किसी का भी नाश हो। जैसा हमने इस अंक के दूसरे लेखों में चर्चा की, वह चाहता है कि “सबको पश्‍चाताप करने का मौका मिले” और उसने यह बात बाइबल में साफ लिखवायी है। (2 पत. 3:9) इसलिए प्राचीन यहोवा की तरह पाप करनेवालों के साथ सब्र रखते हैं। वे प्यार से उन्हें पश्‍चाताप की तरफ ले जाने की कोशिश करते हैं और चाहते हैं कि यहोवा के साथ उनका रिश्‍ता दोबारा मज़बूत हो जाए। लेकिन दुख की बात है कि कुछ लोग पश्‍चाताप नहीं करते। (यशा. 6:9) प्राचीनों के बार-बार मदद करने के बाद भी वे खुद को नहीं बदलते और बुरे कामों में लगे रहते हैं। ऐसे मामलों में प्राचीन क्या करते हैं?

“उस दुष्ट आदमी को अपने बीच से निकाल बाहर करो”

3. (क) जैसा बाइबल में बताया है, जो पश्‍चाताप नहीं करते उनके साथ क्या किया जाना चाहिए? (ख) हम ऐसा क्यों कह सकते हैं कि मंडली से निकाले जाने के लिए पाप करनेवाला खुद ज़िम्मेदार होता है?

3 जब पाप करनेवाला व्यक्‍ति पश्‍चाताप नहीं करता, तो प्राचीन 1 कुरिंथियों 5:13 में दी हिदायत मानते हैं। वहाँ लिखा है, “उस दुष्ट आदमी को अपने बीच से निकाल बाहर करो।” देखा जाए, तो मंडली से निकाले जाने के लिए वह व्यक्‍ति खुद ही ज़िम्मेदार है। उसने जो बोया था, वही काट रहा है। (गला. 6:7) हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? क्योंकि प्राचीनों ने बार-बार उसे पश्‍चाताप की तरफ ले जाने की कोशिश की, पर उसने उनकी नहीं सुनी। (2 राजा 17:12-15) वह बुरे कामों में लगा रहा और इस तरह उसने दिखाया कि वह यहोवा के स्तर नहीं मानना चाहता।—व्यव. 30:19, 20.

4. जब किसी को मंडली से निकाला जाता है, तो इस बारे में घोषणा क्यों की जाती है?

4 जब एक व्यक्‍ति को मंडली से निकाला जाता है, तो भाई-बहनों को इस बारे में बताने के लिए एक घोषणा की जाती है। उसमें बताया जाता है कि अब से वह व्यक्‍ति यहोवा का साक्षी नहीं है। a यह घोषणा पाप करनेवाले को सबके सामने शर्मिंदा करने के लिए नहीं की जाती। इसके बजाय यह इसलिए की जाती है कि भाई-बहन बाइबल में दी हिदायत मानकर उस व्यक्‍ति के साथ “मेल-जोल रखना बंद” कर दें, यहाँ तक कि उसके साथ ‘खाना भी ना खाएँ।’ (1 कुरिं. 5:9-11) इस हिदायत के पीछे एक अच्छी वजह है। प्रेषित पौलुस ने बताया, “ज़रा-सा खमीर पूरे गुँधे हुए आटे को खमीरा कर देता है।” (1 कुरिं. 5:6) जो व्यक्‍ति पश्‍चाताप नहीं करता, अगर वह मंडली में बना रहे, तो इसका दूसरों पर बुरा असर हो सकता है। जो भाई-बहन यहोवा के स्तरों को मानने में कड़ी मेहनत कर रहे हैं, वह उनका इरादा कमज़ोर कर सकता है।—नीति. 13:20; 1 कुरिं. 15:33.

5. जब किसी को मंडली से निकाला जाता है, तो हमें उसे किस नज़र से देखना चाहिए और क्यों?

5 अगर किसी भाई या बहन को मंडली से निकाला जाता है, तो हमें उसे किस नज़र से देखना चाहिए? यह तो है कि हम उसके साथ संगति करना बंद कर देंगे, लेकिन हम ऐसा नहीं सोचेंगे कि अब उसके लिए कोई उम्मीद नहीं बची। इसके बजाय हम उसे यहोवा की खोयी हुई भेड़ समझेंगे जो एक दिन उसके पास लौट सकती है। याद रखिए कि उस व्यक्‍ति ने खुद को यहोवा को समर्पित किया है। पर फिलहाल वह अपने समर्पण के मुताबिक नहीं जी रहा है और इस वजह से वह हमेशा की ज़िंदगी गँवा सकता है। (यहे. 18:31) लेकिन जब तक समय है और यहोवा लोगों पर दया कर रहा है, हम उम्मीद रखेंगे कि वह व्यक्‍ति बदल सकता है और यहोवा के पास लौट सकता है। अब सवाल है, जब किसी को मंडली से निकाला जाता है, तो प्राचीन कैसे उसकी मदद कर सकते हैं?

जिन्हें मंडली से निकाला जाता है, प्राचीन कैसे उनकी मदद करते हैं?

6. जिसे मंडली से निकाला जाता है, प्राचीन किस तरह उसकी मदद करते हैं?

6 जब एक व्यक्‍ति को मंडली से निकाला जाता है, तो क्या उसे उसके हाल पर छोड़ दिया जाता है? क्या प्राचीन यहोवा के पास लौटने में उसकी कोई मदद नहीं करते? ऐसा नहीं है। जब पाप करनेवाले व्यक्‍ति को बताया जाता है कि उसे मंडली से निकाला जा रहा है, तो प्राचीनों की समिति उसे यह भी समझाती है कि मंडली में लौट आने के लिए वह कौन-से कदम उठा सकता है। इतना ही नहीं, ज़्यादातर मामलों में प्राचीन उसे बताते हैं कि कुछ महीनों बाद वे उससे दोबारा मिलेंगे और देखेंगे कि क्या उसने खुद को बदला है। अगर वह व्यक्‍ति मिलने के लिए तैयार है, तो प्राचीन उससे मिलेंगे और प्यार से गुज़ारिश करेंगे कि वह पश्‍चाताप करे और यहोवा के पास लौट आए। पर अगर प्राचीन देखते हैं कि उसने खुद को नहीं बदला है, तो वे हार नहीं मानेंगे। वे समय-समय पर उससे मिलते रहेंगे और उसे पश्‍चाताप करने का बढ़ावा देंगे।

7. यहोवा की तरह प्राचीन कैसे दिखाते हैं कि उनके दिल में उस व्यक्‍ति के लिए करुणा है जिसे मंडली से निकाल दिया गया है? (यिर्मयाह 3:12)

7 यहोवा की तरह प्राचीनों के दिल में भी उस व्यक्‍ति के लिए करुणा होती है जिसे मंडली से निकाल दिया गया है और वे उसकी मदद करने की पूरी कोशिश करते हैं। ज़रा यहोवा के बारे में सोचिए। इसराएली बार-बार उसकी आज्ञा तोड़ते थे, फिर भी उसने आगे बढ़कर उनकी मदद की। उसने ऐसा नहीं सोचा कि जब वे पश्‍चाताप करेंगे, तब वह उनकी मदद करेगा। और आपको शायद याद होगा कि हमने इस अंक के दूसरे लेख में क्या सीखा था। यहोवा ने भविष्यवक्‍ता होशे से कहा कि वह अपनी पत्नी को वापस ले ले, जबकि वह उस वक्‍त पाप में लगी हुई थी। इस तरह यहोवा ने दिखाया कि पाप करनेवालों के लिए उसके दिल में कितनी करुणा है। (होशे 3:1; मला. 3:7) यहोवा की तरह आज प्राचीन भी दिल से चाहते हैं कि पाप करनेवाला व्यक्‍ति पश्‍चाताप करे और मंडली में लौट आए। इसलिए वे उसके साथ बहुत प्यार से पेश आते हैं और ऐसा कुछ नहीं कहते या करते जिससे वापस आना उसे मुश्‍किल लगे।—यिर्मयाह 3:12 पढ़िए।

8. यीशु ने खोए हुए बेटे की जो मिसाल दी, उससे हम यहोवा की करुणा को और अच्छी तरह कैसे समझ पाते हैं? (लूका 15:7)

8 इस अंक के दूसरे लेख में हमने खोए हुए बेटे की मिसाल पर भी चर्चा की थी। क्या आपको याद है कि उसके पिता ने कैसा रवैया दिखाया था? जब उसने दूर से देखा कि उसका बेटा घर लौट रहा है, तो “वह दौड़ा-दौड़ा गया और बेटे को गले लगा लिया और बहुत प्यार से उसे चूमने लगा।” (लूका 15:20) गौर करनेवाली बात है कि पिता ने यह नहीं सोचा कि पहले बेटा उससे माफी माँगे, तब वह उसे अपनाएगा। इसके बजाय वह दौड़ा-दौड़ा उसके पास गया, क्योंकि वह उससे प्यार करता था। प्राचीन भी उन लोगों से प्यार करते हैं जो यहोवा को छोड़कर चले गए हैं और चाहते हैं कि खोयी हुई वे भेड़ें उसके पास लौट आएँ। (लूका 15:22-24, 32) और जब ऐसा होता है तो यहोवा, यीशु, स्वर्गदूत और मंडली में सभी भाई-बहन खुशियाँ मनाते हैं!—लूका 15:7 पढ़िए।

9. जिन लोगों ने पाप किया है, यहोवा उनसे क्या चाहता है?

9 अब तक हमने जो चर्चा की उससे साफ पता चलता है कि जो लोग पश्‍चाताप नहीं करते, यहोवा उन्हें अपने लोगों के बीच नहीं रहने देता। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह पाप करनेवालों से मुँह फेर लेता है, बल्कि वह चाहता है कि वे उसके पास लौट आएँ। और जब कोई पश्‍चाताप करता है, तो यहोवा उसके बारे में कैसा महसूस करता है? होशे 14:4 में लिखा है, “मैं उनकी विश्‍वासघात करने की बीमारी दूर कर दूँगा। मैं अपनी मरज़ी से उन्हें प्यार करूँगा, क्योंकि मेरा क्रोध उनसे दूर हो गया है।” इस आयत से प्राचीनों को क्या बढ़ावा मिलता है? अगर उन्हें पाप करनेवाले व्यक्‍ति में ज़रा-भी बदलाव नज़र आता है और वे देखते हैं कि वह पश्‍चाताप की तरफ जा रहा है, तो उन्हें तुरंत उसकी मदद करनी चाहिए। और जो लोग यहोवा को छोड़कर चले गए हैं, उन्हें इस आयत से क्या बढ़ावा मिलता है? यही कि वे बिना देर किए यहोवा के पास लौट आएँ, क्योंकि वह उनसे बहुत प्यार करता है।

10-11. प्राचीन किस तरह उन लोगों की मदद कर सकते हैं जिन्हें शायद सालों पहले मंडली से निकाल दिया गया था?

10 कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें सालों पहले मंडली से निकाला गया था। प्राचीन उनकी किस तरह मदद कर सकते हैं? हो सकता है, उन लोगों ने वह पाप करना छोड़ दिया हो, जिस वजह से उन्हें मंडली से निकाला गया था। कुछ मामलों में यह भी हो सकता है कि उन्हें याद ही ना हो कि उन्हें किस वजह से निकाला गया था। जो भी हो, प्राचीन यह पता लगाएँगे कि वे कहाँ रहते हैं और उनसे मिलेंगे। मुलाकात करते वक्‍त वे उनके साथ प्रार्थना करेंगे और उनसे प्यार से गुज़ारिश करेंगे कि वे मंडली में लौट आएँ। हो सकता है, कई सालों तक मंडली से दूर रहने की वजह से एक व्यक्‍ति का यहोवा के साथ रिश्‍ता कमज़ोर पड़ गया हो। अगर वह कहता है कि वह लौट आना चाहता है, तो प्राचीन इंतज़ाम करेंगे कि उसके साथ बाइबल अध्ययन किया जाए। और यह इंतज़ाम उसके बहाल किए जाने से पहले भी किया जा सकता है। पर हरेक मामले में प्राचीन तय करेंगे कि एक व्यक्‍ति के साथ कौन अध्ययन करेगा।

11 प्राचीनों के दिल में यहोवा की तरह लोगों के लिए करुणा होती है। इसलिए वे ऐसे लोगों के बारे में पता लगाने की पूरी कोशिश करते हैं जो यहोवा को छोड़कर चले गए हैं और उनसे गुज़ारिश करते हैं कि वे यहोवा के पास लौट आएँ। और जब पाप करनेवाला व्यक्‍ति पश्‍चाताप करता है और बुरे काम करना छोड़ देता है, तो प्राचीन बिना देर किए उसे बहाल कर सकते हैं।—2 कुरिं. 2:6-8.

12. (क) किन मामलों में प्राचीनों को और भी ज़्यादा एहतियात बरतना होता है? (ख) हमें ऐसा क्यों नहीं सोचना चाहिए कि पाप करनेवाले कुछ लोगों को यहोवा से माफी नहीं मिल सकती? (फुटनोट भी देखें।)

12 कुछ मामले ऐसे होते हैं जिनमें एक व्यक्‍ति को बहाल करने से पहले प्राचीनों को और भी ज़्यादा एहतियात बरतना होता है। जैसे, अगर किसी व्यक्‍ति ने बाल शोषण किया था, वह धर्मत्यागी बन गया था या उसने अपनी शादी तोड़ने के लिए साज़िश रची थी, तो उसे बहाल करने से पहले प्राचीनों को पक्का करना चाहिए कि उसने सच में पश्‍चाताप किया है। (मला. 2:14; 2 तीमु. 3:6) प्राचीनों की ज़िम्मेदारी है कि वे मंडली के भाई-बहनों की हिफाज़त करें। लेकिन वे यह भी याद रखते हैं कि अगर कोई सच में पश्‍चाताप करता है और बुरे काम करना छोड़ देता है, तो यहोवा उसे अपनाने को तैयार रहता है। इसलिए प्राचीनों को यह तो देखना है कि जिस व्यक्‍ति ने साज़िश रचकर किसी के साथ बुरा किया है, उसने सच में पश्‍चाताप किया है या नहीं, लेकिन उन्हें कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि उसे यहोवा से माफी नहीं मिल सकती। b1 पत. 2:10.

मंडली क्या कर सकती है?

13. जिस व्यक्‍ति को सुधारा जाता है और जिस व्यक्‍ति को मंडली से निकाल दिया जाता है, उन दोनों के साथ हम कैसे पेश आएँगे?

13 जैसा हमने पिछले लेख में देखा था, कभी-कभी यह घोषणा की जाती है कि एक व्यक्‍ति को सुधारा गया है। ऐसे में हम उस व्यक्‍ति के साथ आगे भी संगति कर सकते हैं, क्योंकि उसने पश्‍चाताप किया है और बुरे काम करना छोड़ दिया है। (1 तीमु. 5:20) वह अब भी मंडली का हिस्सा है और उसे भाई-बहनों से हौसला चाहिए ताकि वह सही रास्ते पर चलता रहे। (इब्रा. 10:24, 25) लेकिन जब एक व्यक्‍ति को मंडली से निकाला जाता है, तब हम क्या करेंगे? हम उसके साथ “मेल-जोल रखना बंद” कर देंगे और ‘उसके साथ खाना भी नहीं खाएँगे।’—1 कुरिं. 5:11.

14. जिस व्यक्‍ति को मंडली से निकाल दिया गया है, उसके बारे में हरेक मसीही अपने ज़मीर के हिसाब से क्या फैसला कर सकता है? (तसवीर भी देखें।)

14 क्या इसका यह मतलब है कि जिस व्यक्‍ति को मंडली से निकाल दिया गया है, हमें उसे पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर देना चाहिए? ऐसा नहीं है। यह तो है कि हम उस व्यक्‍ति के साथ संगति नहीं करेंगे। लेकिन हम बाइबल से तालीम पाए अपने ज़मीर के हिसाब से तय कर सकते हैं कि हम उसे सभा में बुलाएँगे या नहीं। वह व्यक्‍ति हमारा रिश्‍तेदार, अच्छा दोस्त या जान-पहचानवाला हो सकता है। अगर हम उसे सभा में बुलाते हैं और वह आता है, तब हम क्या करेंगे? पहले हम ऐसे लोगों को नमस्ते भी नहीं कहते थे। लेकिन अब हरेक मसीही अपने ज़मीर के हिसाब से तय कर सकता है कि वह क्या करेगा। कुछ भाई-बहन शायद ऐसे व्यक्‍ति का सभा में स्वागत करें या उसे हैलो या नमस्ते कहें। पर हमें याद रखना चाहिए कि हम उससे लंबी-चौड़ी बातचीत ना करें, ना ही उसके साथ संगति करें।

एक मसीही अपने ज़मीर के हिसाब से फैसला कर सकता है कि वह एक ऐसे व्यक्‍ति को सभा में बुलाएगा या नहीं और सभा में उसे नमस्ते कहेगा या नहीं, जिसे मंडली से निकाल दिया गया है (पैराग्राफ 14)


15. दूसरा यूहन्‍ना 9-11 में किस तरह के पाप करनेवालों की बात की गयी है? (“ क्या यूहन्‍ना और पौलुस दोनों एक ही तरह का पाप करनेवालों की बात कर रहे थे?” नाम का बक्स भी देखें।)

15 कुछ लोग शायद सोचें, ‘लेकिन बाइबल में तो लिखा है कि अगर एक मसीही ऐसे व्यक्‍ति को नमस्कार करता है, तो वह उसके दुष्ट कामों में हिस्सेदार बन जाता है।’ (2 यूहन्‍ना 9-11 पढ़िए।) पर आस-पास की आयतों से पता चलता है कि यहाँ धर्मत्यागियों की और उन लोगों की बात की जा रही है जो गलत काम करने का बढ़ावा देते हैं। (प्रका. 2:20) इसलिए अगर एक व्यक्‍ति धर्मत्यागी है और झूठी शिक्षाएँ फैला रहा है या वह गलत काम करने का बढ़ावा दे रहा है, तो प्राचीन उससे मिलने नहीं जाएँगे। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि ऐसे लोगों के लिए कोई उम्मीद नहीं है। हो सकता है, एक दिन वे पश्‍चाताप करें। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, हम ना तो उन्हें नमस्कार करेंगे, ना ही सभाओं में बुलाएँगे।

यहोवा की तरह करुणा और दया कीजिए

16-17. (क) यहेजकेल 18:32 के मुताबिक यहोवा पाप करनेवालों से क्या चाहता है? (ख) यहोवा के सहकर्मी होने के नाते प्राचीनों की क्या कोशिश रहती है?

16 इस अंक में दिए पाँच अध्ययन लेखों से हमने क्या सीखा? यही कि यहोवा नहीं चाहता कि कोई भी नाश हो। (यहेजकेल 18:32 पढ़िए।) वह चाहता है कि पाप करनेवाले उसके साथ सुलह कर लें। (2 कुरिं. 5:20) इसलिए बीते ज़माने में जब भी यहोवा के सेवकों ने उसे छोड़ दिया, तो उसने बार-बार उनसे गुज़ारिश की कि वे पश्‍चाताप करें और उसके पास लौट आएँ। आज मंडली में जो प्राचीन हैं, वे यहोवा के सहकर्मी हैं। वे यहोवा की तरह पाप करनेवालों को पश्‍चाताप की तरफ ले जाने की पूरी कोशिश करते हैं।—रोमि. 2:4; 1 कुरिं. 3:9.

17 ज़रा सोचिए, जब एक व्यक्‍ति पश्‍चाताप करता है, तो स्वर्ग में कितनी खुशियाँ मनायी जाती होंगी! जब भी एक खोयी हुई भेड़ मंडली में लौट आती है, तो यहोवा का दिल खुशी से भर जाता है। जब हम इस बारे में सोचते हैं कि यहोवा के दिल में हमारे लिए कितनी करुणा है, वह हम पर कितनी दया करता है और महा-कृपा करता है, तो हम उससे और भी प्यार करने लगते हैं।—लूका 1:78.

गीत 111 हमारी खुशी के कई कारण

a अब से हम ऐसे लोगों के बारे में यह नहीं कहेंगे कि उनका बहिष्कार हुआ है। इसके बजाय 1 कुरिंथियों 5:13 के मुताबिक हम कहेंगे कि उन्हें मंडली से निकाल दिया गया है।

b बाइबल में बताया है कि कुछ लोगों को अपने पापों की माफी नहीं मिल सकती। इसका यह मतलब नहीं कि उनका पाप माफी के लायक नहीं, बल्कि उनका रवैया गलत है। वे हमेशा यहोवा के खिलाफ काम करते हैं और खुद को बदलना नहीं चाहते। सिर्फ यहोवा और यीशु ही तय कर सकते हैं कि एक व्यक्‍ति को अपने पापों की माफी मिलेगी या नहीं।—मर. 3:29; इब्रा. 10:26, 27.