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साथ निभाने का इरादा एक लंगर की तरह है, जो मुसीबतों के तूफान में भी आपके रिश्‍ते को सलामत रखेगा

पति-पत्नियों के लिए

1: साथ निभाने का इरादा

1: साथ निभाने का इरादा

इसका क्या मतलब है?

एक-दूसरे का साथ निभाने का इरादा रखनेवाले पति-पत्नी शादी को ज़िंदगी-भर का बंधन मानते हैं। उन्हें भरोसा रहता है कि वे हमेशा एक-दूसरे के रहेंगे। दोनों को पूरा यकीन होता है कि मुश्‍किलें आने पर भी उनका साथी उनका साथ नहीं छोड़ेगा।

कुछ पति-पत्नी मजबूरी में साथ रहते हैं। वे समाज और रिश्‍तेदारों के डर से किसी तरह यह रिश्‍ता निभा लेते हैं। लेकिन कितना अच्छा होगा कि पति-पत्नी मजबूरी में नहीं, बल्कि एक-दूसरे के लिए प्यार और आदर की वजह से अपना रिश्‍ता निभाएँ।

पवित्र शास्त्र की सलाह: “एक पति को चाहिए कि अपनी पत्नी को न छोड़े।”​—1 कुरिंथियों 7:11.

“साथ निभाने का इरादा हो, तो आप अपने साथी की किसी बात का बुरा नहीं मानेंगे। आप उसे तुरंत माफ कर देंगे और खुद गलती करने पर तुरंत माफी माँग लेंगे। समस्या आने पर आप साथी को छोड़ नहीं देंगे, बल्कि समस्या को सुलझाएँगे।”​—माइका।

यह क्यों मायने रखता है?

जिस पति-पत्नी में साथ निभाने का पक्का इरादा नहीं होता, वे समस्याएँ आने पर शायद तुरंत सोचें कि ‘मैंने सही साथी नहीं चुना’ और अलग होने के बहाने ढूँढ़ने लगें।

“कुछ लोग पहले से यह सोचकर शादी करते हैं कि अगर उनकी आपस में नहीं बनी, तो वे तलाक ले लेंगे। लेकिन अगर शादी करते समय ही शादी तोड़ने का खयाल हो, तो भला वह बंधन कैसे मज़बूत होगा?”​—जीन।

आप क्या कर सकते हैं?

खुद से पूछिए

जब आप दोनों में झगड़ा होता है, तो . . .

  • क्या आप सोचते हैं कि मैंने इससे शादी क्यों की?

  • क्या आप किसी पराए के साथ समय बिताने के सपने देखते हैं?

  • क्या आप अपने साथी से कहते हैं, “अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकता” या “मैं किसी और को ले आऊँगा जिसे मेरी कदर हो”?

अगर आप इनमें से किसी एक सवाल का भी जवाब ‘हाँ’ में देते हैं, तो इसका मतलब है कि आपकी शादी का बंधन कमज़ोर है और आपको फौरन इसे मज़बूत करना है।

अपने साथी से इस बारे में बात कीजिए

  • क्या साथ निभाने का हमारा इरादा कमज़ोर पड़ गया है? अगर हाँ, तो क्यों?

  • हम अपना इरादा मज़बूत करने के लिए क्या-क्या कर सकते हैं?

इसे आज़माइए

  • कभी-कभी अपने साथी को प्यार के दो शब्द लिखकर दीजिए

  • काम की जगह पर अपने साथी के फोटो रखिए

  • जब आप काम की जगह पर हों या अपने साथी से दूर हों, तो उसे हर दिन फोन या मैसेज कीजिए

पवित्र शास्त्र की सलाह: “जिसे परमेश्‍वर ने एक बंधन में बाँधा है, उसे कोई इंसान अलग न करे।”​—मत्ती 19:6.