पहले पेज का विषय
तीन चीज़ें जो खरीदी नहीं जा सकतीं?
क्या यह देखकर आपको ताज्जुब नहीं होता कि एक तरफ जहाँ लोग इस डर में जी रहे हैं कि वे कभी-भी अपनी नौकरी, घर या पेंशन गवाँ सकते हैं, वहीं ऐसे लोग भी हैं जिन पर हर चीज़ खरीदने का जुनून सवार रहता है। वे पैसे से हर वह चीज़ खरीदना चाहते हैं, जो उन्हें दिखायी देती है।
इस तरह के लोग बड़ी आसानी से विज्ञापनों के शिकार हो जाते हैं। विज्ञापन जगत का मकसद ही लोगों को लुभाना है, वे हमेशा इस फिराक में रहते हैं कि लोगों को कैसे फँसाया जाए। उनका कहना है कि बड़ा घर, बढ़िया गाड़ी और नए-नए ब्रैंड के कपड़े ही आपकी पहचान हैं, ये नहीं तो कुछ नहीं। नकद नहीं? तो कोई बात नहीं, उधार खरीद लो! कई लोगों का लक्ष्य है, दूसरों से हटकर दिखना, फिर चाहे वे कर्ज़ में ही क्यों न डूब जाएँ।
आज नहीं तो कल हकीकत का सामना करना ही पड़ता है। अँग्रेज़ी किताब, खुद से प्यार करने का रोग कहती है: “एक इंसान कामयाब होने और इसका एहसास करने के लिए उधार पर बड़ी-बड़ी और महँगी-महँगी चीज़ें खरीद लेता है। यह ऐसा है जैसे कोई अच्छा महसूस करने के लिए नशा करता है। दोनों ही चीज़ें सस्ती लग सकती हैं और शायद असर भी करें, मगर सिर्फ कुछ समय के लिए। वहीं दूसरी तरफ, ये हमें लंबे समय के लिए नुकसान पहुँचा सकती हैं। शायद हमें निराशा आ घेरे या फिर हम कौड़ी-कौड़ी के लिए मोहताज हो जाएँ।”
ध्यान रखिए, दुनिया की सोच हमें गुमराह करती है लेकिन बाइबल आगाह करती है, “जीवन के साधनों का दिखावा” करना बेकार है। (1 यूहन्ना 2:16, फुटनोट) सच्चाई तो यह है कि ज़्यादा-से-ज़्यादा चीज़ें बटोरने की चाहत में हम, इस हद तक भटक सकते हैं कि ज़िंदगी में ज़्यादा अहमियत रखनेवाली चीज़ें हमें नज़र न आएँ। याद रखिए, ये चीज़ें पैसों से नहीं खरीदी जा सकतीं। आखिर अहमियत रखनेवाली ये चीज़ें क्या हैं, आइए तीन बातों पर गौर करें।
1. परिवार की एकता
अमरीका में रहनेवाली, 17 साल की ब्रैयनी * का कहना है: “मेरे पापा नौकरी और उससे मिलनेवाले पैसों को बहुत ज़्यादा अहमियत देते हैं। हमारे पास ज़रूरत की हर चीज़ है बल्कि उससे कहीं ज़्यादा है। फिर भी मेरे पापा कभी घर पर नहीं रहते, वे अकसर काम के सिलसिले में सफर करते रहते हैं। मैं मानती हूँ कि पापा ये सब नौकरी की वजह से करते हैं, लेकिन परिवार के लिए भी उनकी कुछ ज़िम्मेदारियाँ बनती हैं।”
ज़रा सोचिए: अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आगे चलकर ब्रैयनी के पिता को किस बात का अफसोस होगा? धन-दौलत और ऐशो-आराम की चीज़ों को ज़्यादा अहमियत देने की वजह से, क्या बेटी के साथ उनके रिश्ते पर कोई असर पड़ेगा? पैसों से बढ़कर, परिवार के सदस्यों को उनसे और क्या चाहिए?
बाइबल सिद्धांतों पर गौर कीजिए:
‘धन का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है। कुछ लोगों ने इसकी लालसा में अपने आपको अनेक दुखों से छलनी बना डाला है।’—1 तीमुथियुस 6:10, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।
“घृणा के साथ अधिक भोजन से, प्रेम के साथ थोड़ा भोजन उत्तम है।”—नीतिवचन 15:17, हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन।
निचोड़ क्या है: पैसों से परिवार की एकता खरीदना नामुमकिन है। अगर आप परिवार में एकता हासिल करना चाहते हैं तो ज़रूरी है कि आप उनके साथ समय बिताएँ, प्यार और परवाह दिखाएँ।—कुलुस्सियों 3:18-21.
2. सच्ची सुरक्षा
सत्रह साल की सारा का कहना है: “मेरी मम्मी हमेशा मुझसे कहती हैं कि मुझे ऐसे आदमी से शादी करनी चाहिए, जो बहुत पैसेवाला हो। साथ ही, मुझे कुछ हुनर भी सीखना चाहिए ताकि मुसीबत की घड़ी में किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े। उन्हें हमेशा रुपए-पैसों की धुन सवार रहती है।”
ज़रा सोचिए: भविष्य के बारे में योजनाएँ बनाते वक्त, आपको कौन-सी ज़रूरी बातें ध्यान में रखनी चाहिए? कब ये ज़रूरी बातें आपके लिए हद-से-ज़्यादा चिंता करने की वजह बन सकती हैं? सच्ची सुरक्षा के बारे में, सारा की मम्मी को किस तरह का नज़रिया अपनाने की ज़रूरत है?
बाइबल सिद्धांतों पर गौर कीजिए:
“अपने लिए पृथ्वी पर धन जमा करना बंद करो, जहाँ कीड़ा और ज़ंग उसे खा जाते हैं और जहाँ चोर सेंध लगाकर चुरा लेते हैं।”—मत्ती 6:19.
“तुम नहीं जानते कि कल तुम्हारे जीवन का क्या होगा।”—याकूब 4:14.
निचोड़ क्या है: धन इकट्ठा करने से हमारा भविष्य सुरक्षित नहीं होता। क्योंकि धन कभी-भी चुराया जा सकता है, ये बीमारी या मौत को नहीं मिटा सकता। (सभोपदेशक 7:12) बाइबल सिखाती है कि सच्ची सुरक्षा परमेश्वर और उसके मकसद को जानने से मिलती है।—यूहन्ना 17:3.
3. निजी संतोष
चौबीस साल की तान्या का कहना है: “मेरे माता-पिता ने मेरी परवरिश इस तरह की कि मैं सादा जीवन जी सकूँ। कभी-कभी तो हमें थोड़ी चीज़ों में ही गुज़ारा करना पड़ता था। ऐसे माहौल में भी मैं और मेरी जुड़वाँ बहन खुश रहते थे।”
ज़रा सोचिए: कम चीज़ों में संतोष पाना क्यों मुश्किल हो सकता है? जब पैसे की बात आती है तो आप परिवार के सामने कैसी मिसाल रखते हैं?
बाइबल सिद्धांतों पर गौर कीजिए:
“इसलिए अगर हमारे पास खाना, कपड़ा और सिर छिपाने की जगह है, तो उसी में संतोष करना चाहिए।”—1 तीमुथियुस 6:8.
“सुखी हैं वे जिनमें परमेश्वर से मार्गदर्शन पाने की भूख है।”—मत्ती 5:3.
निचोड़ क्या है: ज़िंदगी में पैसा ही सबकुछ नहीं होता, पैसों से हर चीज़ नहीं खरीदी जा सकती। बाइबल भी इस सच्चाई को बयान करती है, “चाहे इंसान के पास बहुत कुछ हो, तो भी उसकी ज़िंदगी उसकी संपत्ति की बदौलत नहीं होती।” (लूका 12:15) सही मायनों में जीवन में संतोष तभी मिलेगा, जब हमें आगे दिए सवालों के जवाब पता होंगे:
जिंदगी का मकसद क्या है?
हमारा भविष्य कैसा होगा?
मैं अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतें कैसे पूरी कर सकता हूँ?
यहोवा के साक्षी, जो इस पत्रिका के प्रकाशक हैं, उन्हें आपको इन सवालों के जवाब देने में खुशी होगी। ▪ (g13-E 10)
^ पैरा. 8 इस लेख में नाम बदल दिए गए हैं।