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दुनिया पर एक नज़र

दुनिया पर एक नज़र

दक्षिण-पूर्व एशिया

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड के मुताबिक 1997 से 2011 के दौरान ग्रेटर मकांग नाम के इलाके में बहुत-से नए पौधों और जानवरों की प्रजातियाँ पहचानी गयी हैं। इनमें से एक है लाल आँखोंवाला पिट वाइपर या हरे रंग का साँप (ट्राइमरेसयरस रूबियस)। ग्रेटर मकांग इलाका कम्बोडिया, लाओस, म्यानमार, थाइलैंड, वियतनाम और चीन के युन्नान प्रान्त तक फैला है। सिर्फ 2011 में पौधों की 82, रेंगनेवाले जंतुओं की 21, मछलियों की 13, पानी में रहनेवाले जंतुओं की 5 और स्तनधारी जंतुओं की 5 प्रजातियों की खोज की गयी।

यूरोप

द मॉस्को टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि इंसानों की खरीद-फरोख्त “यूरोप के सभी देशों” में एक बड़ी समस्या बन गयी है। इंसानों की खरीद-फरोख्त करनेवाले लड़के-लड़कियों के बीच भेदभाव, गरीबी और बेरोज़गारी का नाजायज़ फायदा उठाते हैं। लोगों से ज़बरदस्ती मज़दूरी कराने, उनके साथ लैंगिक दुर्व्यवहार करने, यहाँ तक कि “इंसानों के अंगों का गैर-कानूनी धंधा” करने के लिए बेचा जाता है।

न्यूज़ीलैंड

खोजकर्ताओं ने पता लगाया है कि जो छोटे और जवान बच्चे हद-से-ज़्यादा टी.वी. देखते हैं, “वे 18-20 साल की उम्र में ही कटे-कटे रहने लगते हैं या बगावती हो जाते हैं।” अपनी खोज को ध्यान में रखते हुए वे सलाह देते हैं कि बच्चों को “अच्छे कार्यक्रम दिन में 1 या 2 घंटे से ज़्यादा नहीं” देखने चाहिए।

अलास्का

तकरीबन सभी “अलास्का के गाँव” समुंदर के तट पर या नदी किनारे बसे हैं। इनमें से 86 प्रतिशत गाँव बाढ़ और मिट्टी के कटाव की चपेट में आ जाते हैं। रिपोर्ट दिखाती हैं कि बढ़ते तापमान की वजह से समुंदर के किनारे अब बर्फ इतनी जल्दी नहीं जमती, जो पहले लोगों को हिफाज़त देती थी। नतीजा अब गाँववालों को सर्दियों में तूफान की पहले से ज़्यादा मार सहनी पड़ती है।

दुनिया

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की कार्यकारी निर्देशक, मारिया वॅन डेर हुवेन कहती हैं कि साफ ऊर्जा बनानेवाली कई तकनीक, जैसे पवन और सौर ऊर्जा में काफी पैसा खर्च किया गया है। फिर भी ‘आज इन तकनीकों से बननेवाली ऊर्जा औसतन उतनी ही दूषित है जितनी बीस साल पहले होती थी।’ (g14-E 05)