परिवार के लिए मदद | शादी का बंधन
माफी कैसे माँगें
चुनौती
आपकी और आपके साथी की अभी-अभी किसी बात पर बहस हुई है। आप सोचते हैं, ‘मैं क्यों माफी माँगू? मैंने थोड़ी न झगड़ा शुरू किया था!’
फिर आप सोचते हैं, ‘चलो छोड़ो, जाने दो!’ लेकिन अब भी आप दोनों के मन में कहीं-न-कहीं थोड़ी-बहुत नाराज़गी है। फिर आप सोचते हैं, ‘शायद मुझे ही माफी माँग लेनी चाहिए।’ लेकिन आपको ऐसा करना बहुत मुश्किल लग रहा है।
ऐसा क्यों होता है
घमंड। एक पति जिसका नाम मुकुल * है, कहता है कि “कभी-कभी मेरे लिए माफी माँगना बहुत मुश्किल हो जाता है, क्योंकि मुझे लगता है कि ऐसा करने से मेरी कोई इज़्ज़त ही नहीं रह जाएगी।” जब आपमें घमंड होता है, तो आपको यह मानने में बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है कि कुछ हद तक गलती आपकी भी थी।
गलती आपकी नहीं। आपको शायद लगे कि माफी तभी माँगनी चाहिए, जब गलती आपकी होती है। जानवी कहती है, “अगर गलती सिर्फ मेरी है, तब तो माफी माँगना बहुत आसान होता है। लेकिन जब हम दोनों ने एक-दूसरे को बुरा-भला कहा हो, तो बात अलग है। अब गलती दोनों की है, तो मैं क्यों माफी माँगू?”
अगर आपको लगता है कि गलती सिर्फ-और-सिर्फ आपके साथी की है, तो आप शायद सोचें कि आपको माफी माँगने की कोई ज़रूरत नहीं है। जीत नाम का पति कहता है “जब आपको यह अच्छी तरह पता हो कि गलती आपकी नहीं है, तो माफी न माँगने से आप यह जताते हैं कि आप बेकसूर हैं।”
परवरिश। हो सकता है कि आपकी परवरिश ऐसे माहौल में हुई हो जहाँ कोई एक-दूसरे से माफी नहीं माँगता था। इसलिए आपने कभी गलती मानना सीखा ही नहीं। बचपन में आपने कभी माफी नहीं माँगी, इसलिए बड़े होने पर भी अपनी गलतियों के लिए माफी माँगने की आपको शायद आदत न हो।
आप क्या कर सकते हैं
अपने साथी पर ध्यान दीजिए। ज़रा उस पल के बारे में सोचिए जब किसी ने आपसे माफी माँगी थी। आपको उस वक्त कितना अच्छा लगा था, है ना? तो क्यों न आप भी अपने साथी से माफी माँगकर उसे वही खुशी दें? भले ही आपको लगे कि आपकी कोई गलती नहीं है, फिर भी आप अपने साथी से कह सकते हैं कि आपको इस बात का दुख है कि उसे बुरा लग रहा है, या आपको इस बात का अफसोस है कि उसे आपकी वजह से ठेस पहुँची है, लेकिन आपका ऐसा करने का कोई इरादा नहीं था। जब आप अपने साथी से ऐसा कहेंगे, तो बेशक वह नाराज़ नहीं रहेगा।—बाइबल सिद्धांत: लूका 6:31.
अपने शादीशुदा ज़िंदगी पर ध्यान दीजिए। माफी माँगने से आपकी हार नहीं, बल्कि आपकी शादीशुदा ज़िंदगी की जीत होगी। पवित्र शास्त्र में लिखा है कि जो व्यक्ति नाराज़गी पाले रखता है, उसे मनाना एक ताकतवर शहर पर जीत हासिल करने से भी मुश्किल होता है। (नीतिवचन 18:19) अगर कोई माफी माँगने के लिए तैयार नहीं होगा, तो आपस में सुलह करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। वहीं दूसरी तरफ अगर आप माफी माँगते हैं, तो बात वहीं के वहीं खत्म हो जाएगी और बात का बतंगड़ नहीं बनेगा। और इस तरह आप दिखाएँगे कि आपके लिए आपके साथी के साथ आपका रिश्ता ज़्यादा मायने रखता है।—बाइबल सिद्धांत: फिलिप्पियों 2:3.
जल्द-से-जल्द माफी माँगिए। यह सच है कि उस वक्त माफी माँगना बहुत मुश्किल होता है जब गलती दोनों की हो। चाहे आपके साथी से भी गलती हुई हो, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आपको अपने किए की माफी माँगने की ज़रूरत नहीं। और यह सोचकर बात को मत टालिए कि कुछ वक्त बाद सब ठीक हो जाएगा। इसके बजाय, अपने साथी से माफी माँग लीजिए। अगर आप ऐसा करेंगे, तो आपके साथी के लिए भी आपसे माफी माँगना आसान हो जाएगा। भले ही शुरु-शुरू में आपको माफी माँगना मुश्किल लगे, लेकिन अगर आप ऐसा करते रहें, तो धीरे-धीरे माफी माँगना आपके लिए आसान हो जाएगा।—बाइबल सिद्धांत: मत्ती 5:25.
दिल से माफी माँगिए। अपने किए पर सफाई पेश करने के बजाय दिल से माफी माँगिए। माफी माँगते वक्त ऐसा मत कहिए, “मुझसे गलती हो गयी, मुझे नहीं पता था कि तुम तिल का ताड़ बना दोगे।” इसके बजाय अपनी गलती मानिए और अपने साथी से कहिए कि आपको इस बात का दुख है कि उसे बुरा लगा, फिर चाहे आपको ऐसा क्यों न लग रहा हो कि उसे जो दुख पहुँचा है वह जायज़ है।
सच्चाई का सामना कीजिए। इस बात को मानकर चलिए कि कभी-न-कभी आपसे गलती हो सकती है। आखिर ऐसा कौन है, जो गलतियाँ नहीं करता? भले ही आपको लगे कि आपका कोई दोष नहीं है, लेकिन इस बात को भी ध्यान में रखिए कि कई बार हमें पूरी बात मालूम नहीं होती है। पवित्र शास्त्र बताता है कि जो अपनी बात पहले बोलता है, वही ठीक लगता है, जब तक कि दूसरा आकर उससे पूछ-ताछ नहीं करता। (नीतिवचन 18:17) अगर आप खुद को और अपनी कमज़ोरियों को अच्छी तरह पहचानते हैं, तो आपके लिए माफी माँगना आसान हो जाएगा। ▪ (g15-E 09)
^ पैरा. 7 इस लेख में कुछ नाम बदल दिए गए हैं।