अय्यूब 40:1-24
40 यहोवा ने अय्यूब से यह भी कहा,
2 “कौन सर्वशक्तिमान में गलती ढूँढ़कर उससे बहस कर सकता है?+
कौन परमेश्वर को सुधारना चाहता है? अगर कोई है, तो जवाब दे।”+
3 तब अय्यूब ने यहोवा से कहा,
4 “मेरी क्या औकात?+
मैं तुझे क्या जवाब दूँ?
मैं मुँह पर हाथ रखकर चुप रहूँगा,+
5 मैंने एक बार कहा, दूसरी बार कहा,मगर अब कुछ न कहूँगा, अपने मुँह से एक शब्द नहीं निकालूँगा।”
6 तब तूफान में से यहोवा की आवाज़ सुनायी दी। उसने अय्यूब से कहा,+
7 “हे इंसान, तैयार हो जा!मैं तुझसे सवाल करूँगा और तू मुझे बता।+
8 क्या तू मेरे फैसले पर उँगली उठाएगा?
खुद को सही साबित करने के लिए मुझे दोषी ठहराएगा?+
9 क्या तू सच्चे परमेश्वर जितना शक्तिशाली है?+क्या तू उसकी तरह गरज सकता है?+
10 अगर हाँ, तो पूरी शान और ऐश्वर्य से खुद को सँवार ले,गौरव और वैभव की पोशाक पहन ले।
11 अपने क्रोध की ज्वाला बरसा दे,घमंडियों पर ध्यान दे और उन्हें नीचा कर।
12 उन पर ध्यान दे और उनका घमंड तोड़ दे,जहाँ कहीं दुष्ट दिखें, उन्हें कुचल दे।
13 उन सबको मिट्टी में गाड़ दे,अँधेरी जगह में उन्हें* बाँध दे,
14 तब मैं भी मान लूँगा*कि तेरा दायाँ हाथ तुझे बचा सकता है।
15 ज़रा बहेमोत* को देख,जैसे मैंने तुझे बनाया है उसे भी बनाया है,
वह बैल की तरह घास खाता है।
16 उसके कूल्हों में ज़बरदस्त शक्ति है,उसके पेट की माँस-पेशियों में गज़ब की ताकत है।
17 वह अपनी पूँछ देवदार के पेड़ की तरह कड़ी कर लेता है,उसकी जाँघ की माँस-पेशियाँ मज़बूती से गुंथी हुई हैं।
18 उसकी हड्डियाँ, ताँबे की नलियों जैसीऔर उसके हाथ-पैर लोहे के छड़ जैसे मज़बूत हैं।
19 बड़े-बड़े जानवरों में परमेश्वर ने उसे सबसे पहले बनाया,सिर्फ उसका बनानेवाला ही उसे तलवार से मार सकता है।
20 उसे खाना देने के लिए पूरा पहाड़ जुटा रहता है,सारे जंगली जानवर वहीं आस-पास खेलते-कूदते हैं।
21 वह कँटीली झाड़ियों* के नीचे आराम फरमाता है,दलदल में नरकटों के बीच रहता है,
22 कँटीली झाड़ियाँ भी उसे अपनी छाँव में ले लेती हैं,घाटी के पेड़* उसे घेरे रहते हैं।
23 चाहे नदी में उफान आ जाए, वह घबराता नहीं,
चाहे यरदन का पानी+ उस पर चढ़ आए, वह बेफिक्र रहता है।
24 क्या कोई उसका सामना करके उसे पकड़ सकता है?या उसकी नाक में नकेल* डाल सकता है?
कई फुटनोट
^ शा., “उनके चेहरे।”
^ या “तुझे दाद दूँगा।”
^ शायद दरियाई घोड़ा।
^ शायद बेर की प्रजाति का पेड़।
^ शा., “पहाड़ी पीपल।”
^ शा., “फंदा।”