निर्गमन 12:1-51

12  मूसा और हारून जब मिस्र में थे तब यहोवा ने उनसे कहा,  “यह महीना तुम्हारे लिए पहला महीना होगा। तुम इसे साल का पहला महीना मानना।+  इसराएल की पूरी मंडली से कहना, ‘इस महीने के दसवें दिन, इसराएल के सब घराने अपने लिए एक-एक मेम्ना+ लें, हर परिवार के लिए एक मेम्ना।  लेकिन अगर एक घराने में पूरे मेम्ने को खाने के लिए लोग कम हों, तो वह देखे कि मेम्ने को और कितने लोग खा सकते हैं और उस हिसाब से पड़ोस के किसी परिवार के साथ अपने घर में मिल-बाँटकर खाए। और मेम्ने को खाने के लिए कितने लोग होंगे उसके हिसाब से यह भी तय करे कि हर कोई मेम्ने का कितना गोश्‍त खाएगा।  तुम ऐसा मेम्ना चुनना जिसमें कोई दोष न हो।+ वह नर हो और एक साल का हो। तुम या तो भेड़ का बच्चा ले सकते हो या बकरी का।  तुम इस महीने के 14वें दिन तक उसकी देखभाल करना।+ और उसी दिन शाम के झुटपुटे के समय*+ इसराएलियों की मंडली का हर परिवार अपना मेम्ना हलाल करे,  और मेम्ने का थोड़ा-सा खून ले और जिस घर में वह परिवार मेम्ने को खाएगा, उसके दरवाज़े के दोनों बाज़ुओं और चौखट के ऊपरी हिस्से पर उसका खून छिड़के।+  लोग मेम्ने का माँस 14वें दिन की रात को ही खाएँ।+ मेम्ना हलाल करने के बाद उसे आग में भून दिया जाए और उसे बिन-खमीर की रोटी+ और कड़वे साग के साथ खाया जाए।+  जानवर को कच्चा या पानी में उबालकर मत खाना बल्कि पूरे जानवर को उसके सिर, पायों और अंदरूनी अंगों समेत आग में भूनकर खाना। 10  अगली सुबह के लिए कुछ बचाकर मत रखना, अगर कुछ बच गया तो उसे आग में जला देना।+ 11  तुम लोग कमरबंद बाँधकर,* पैरों में जूतियाँ पहनकर और हाथ में लाठी लिए पूरी तरह तैयार होकर यह खाना खाना। और तुम जल्दी-जल्दी खाना। यह यहोवा के लिए मनाया जानेवाला फसह है। 12  उसी रात मैं मिस्र देश आऊँगा और मिस्र के हर पहलौठे को मार डालूँगा, चाहे वह इंसान का हो या जानवर का।+ मैं मिस्र के सब देवी-देवताओं को सज़ा दूँगा।+ मैं यहोवा हूँ। 13  जिन घरों में तुम रहोगे, उन पर लगा खून तुम्हारे लिए निशानी होगा। वह खून देखकर मैं तुम्हें छोड़ दूँगा और आगे बढ़ जाऊँगा। और मैं मिस्र देश को मारने के लिए जो कहर लानेवाला हूँ उससे तुम बच जाओगे।+ 14  यह दिन तुम्हारे लिए यादगार बन जाएगा। तुम पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस दिन यहोवा के लिए त्योहार मनाया करना। यह नियम तुम्हें हमेशा के लिए दिया जा रहा है। 15  तुम्हें सात दिन तक बिन-खमीर की रोटी खानी होगी।+ इस त्योहार के पहले दिन ही तुम अपने घरों से खमीरा आटा* निकाल फेंकना क्योंकि इन सात दिनों में अगर तुममें से कोई ऐसी चीज़ खाएगा जिसमें खमीर मिला हो, तो उसे इसराएल में से हमेशा के लिए नाश कर दिया जाए। 16  पहले दिन तुम एक पवित्र सभा रखना और सातवें दिन फिर से एक पवित्र सभा रखना। इन दिनों में कोई भी काम न किया जाए।+ सिर्फ हरेक की ज़रूरत के मुताबिक खाना तैयार किया जा सकता है, इसके अलावा कोई और काम नहीं किया जा सकता। 17  तुम बिन-खमीर की रोटी का त्योहार ज़रूर मनाया करना,+ क्योंकि इसी दिन मैं तुम लोगों की बड़ी भीड़* को मिस्र से निकालकर बाहर ले जानेवाला हूँ। तुम पीढ़ी-दर-पीढ़ी यह दिन मनाया करना। यह नियम तुम्हें हमेशा के लिए दिया जा रहा है। 18  साल के पहले महीने के 14वें दिन की शाम से लेकर उस महीने के 21वें दिन की शाम तक तुम्हें बिन-खमीर की रोटी खानी होगी।+ 19  इन सात दिनों के दौरान तुम्हारे घरों में खमीरा आटा बिलकुल भी न पाया जाए क्योंकि कोई भी इंसान, चाहे वह पैदाइशी इसराएली हो या परदेसी,+ अगर ऐसी कोई चीज़ खाएगा जिसमें खमीर मिला हो, तो उसे इसराएल की मंडली में से नाश कर दिया जाएगा।+ 20  तुम्हें ऐसी कोई भी चीज़ नहीं खानी चाहिए जिसमें खमीर मिला हो। तुम सबको अपने घरों में सिर्फ बिन-खमीर की रोटी खानी होगी।’” 21  मूसा ने फौरन इसराएल के सभी मुखियाओं को बुलाया+ और उनसे कहा, “तुम सब जाकर अपने-अपने परिवार के लिए मेम्ने* ले आओ और उन्हें फसह की बलि के लिए हलाल करो। 22  फिर मेम्ने का खून एक बड़े कटोरे में लो और मरुए का गुच्छा उसमें डुबोकर उससे चौखट के ऊपरी हिस्से और दरवाज़े के दोनों बाज़ुओं पर खून लगाओ। अगली सुबह तक तुममें से कोई भी अपने घर के दरवाज़े से बाहर कदम न रखे। 23  फिर जब यहोवा मिस्रियों पर कहर ढाने के लिए आएगा और तुम्हारे घरों की चौखट के ऊपरी हिस्से और दरवाज़े के दोनों बाज़ुओं पर खून देखेगा, तो यहोवा तुम्हारे दरवाज़े को छोड़कर आगे बढ़ जाएगा और मौत के कहर* को तुम्हारे घरों में नहीं घुसने देगा।+ 24  तुम लोग इस घटना की यादगार ज़रूर मनाया करना। यह नियम तुम्हें और तुम्हारे बेटों को हमेशा के लिए दिया जा रहा है।+ 25  जब तुम उस देश में दाखिल होगे जो यहोवा अपने कहे मुताबिक तुम्हें देगा, तो वहाँ तुम यह त्योहार मनाया करना।+ 26  अगर कभी तुम्हारे बेटे तुमसे पूछें, ‘हम यह त्योहार क्यों मनाते हैं?’+ 27  तो तुम उन्हें बताना, ‘जब इसराएली मिस्र में थे, तब परमेश्‍वर ने मिस्रियों पर कहर ढाया था। मगर वह इसराएलियों के घरों को छोड़कर आगे बढ़ गया और इस तरह उसने हमारे घरों को बख्श दिया। इसीलिए हम फसह की यह बलि यहोवा के लिए चढ़ाते हैं।’” तब इसराएलियों ने मुँह के बल ज़मीन पर गिरकर दंडवत किया। 28  इसराएलियों ने जाकर वही किया जो यहोवा ने मूसा और हारून को आज्ञा दी थी।+ उन्होंने ठीक वैसा ही किया। 29  फिर उसी दिन आधी रात को यहोवा ने मिस्र देश के सभी पहलौठों को मार डाला।+ राजगद्दी पर बैठनेवाले फिरौन के पहलौठे से लेकर जेल* में पड़े कैदी तक के पहलौठे को और सब जानवरों के पहलौठों को मार डाला।+ 30  रात में फिरौन और उसके सभी अधिकारी और मिस्री लोग जाग उठे। मिस्रियों के यहाँ बड़ा हाहाकार मच गया क्योंकि एक भी घर ऐसा नहीं था जहाँ मौत न हुई हो।+ 31  फिरौन ने रात में ही मूसा और हारून को बुलवाया+ और उनसे कहा, “चले जाओ तुम यहाँ से। अपने सब इसराएलियों को लेकर निकल जाओ मेरे लोगों के बीच से। तुमने कहा था न, तुम यहोवा की सेवा करना चाहते हो, तो जाओ यहाँ से।+ 32  और जैसा तुमने कहा था, अपनी भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल सब साथ लेते जाओ।+ मगर जाते-जाते मुझे दुआएँ देना मत भूलो।” 33  फिर मिस्री लोग इसराएलियों से हड़बड़ी कराने लगे कि वे जल्द-से-जल्द+ उनके देश से निकल जाएँ। मिस्री कहने लगे, “कहीं ऐसा न हो कि हम सब मर जाएँ।”+ 34  इसलिए इसराएलियों ने गुँधा हुआ आटा लिया और उसमें खमीर मिलाए बगैर ही उसे आटा गूँधने के बरतनों* में डालकर कपड़ों में लपेटा और अपने कंधों पर रख लिया। 35  और जैसे मूसा ने उन्हें बताया था, उन्होंने मिस्रियों से सोने-चाँदी की चीज़ें और कपड़े माँगे।+ 36  यहोवा ने मिस्रियों को इसराएलियों पर ऐसा मेहरबान किया कि उन्होंने इसराएलियों को मुँह माँगी चीज़ें दे दीं। इसराएलियों ने एक तरह से मिस्रियों को लूट लिया।+ 37  इसके बाद इसराएली रामसेस+ से सुक्कोत+ के लिए निकल पड़े। उनमें आदमियों की गिनती करीब 6,00,000 थी जो पैदल चलकर गए और उनके अलावा बच्चे भी थे।+ 38  उनके साथ लोगों की एक मिली-जुली भीड़*+ भी निकली। वे सब अपने साथ भेड़-बकरियों और गाय-बैलों का एक बड़ा झुंड भी ले गए। 39  रास्ते में उन्होंने उस गुँधे हुए आटे से, जो वे मिस्र से लाए थे, बिन-खमीर की गोल-गोल रोटियाँ बनायीं। आटे में खमीर नहीं मिलाया गया था, क्योंकि उन्हें इतनी जल्दी मिस्र छोड़ना पड़ा था कि वे खाने की चीज़ें तैयार नहीं कर पाए।+ 40  इसराएलियों ने, जो मिस्र में रह रहे थे,+ 430 साल+ परदेसियों की ज़िंदगी गुज़ारी थी। 41  जिस दिन 430 साल खत्म हुए उसी दिन यहोवा के लोगों की बड़ी भीड़* मिस्र देश से बाहर निकली। 42  हर साल इस रात वे इस बात की खुशियाँ मनाएँगे कि यहोवा उन्हें मिस्र से निकाल लाया था। सभी इसराएलियों को पीढ़ी-दर-पीढ़ी यहोवा के सम्मान में इस रात की यादगार मनानी है।+ 43  यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, “फसह के त्योहार के नियम ये हैं: कोई भी परदेसी फसह का खाना नहीं खा सकता।+ 44  लेकिन अगर किसी इसराएली के पास दाम देकर खरीदा हुआ दास हो तो उसका खतना किया जाना चाहिए,+ तभी वह फसह का खाना खा सकता है। 45  कोई भी प्रवासी या दिहाड़ी पर काम करनेवाला फसह का खाना नहीं खा सकता। 46  फसह का मेम्ना एक ही घर के अंदर खाया जाए। उसका माँस तुम घर के बाहर मत ले जाना और उसकी एक भी हड्डी न तोड़ना।+ 47  इसराएल की पूरी मंडली को यह त्योहार मनाना चाहिए। 48  तुम्हारे बीच रहनेवाला कोई परदेसी अगर यहोवा के लिए फसह मनाना चाहता है, तो उसे अपने घराने के सभी लड़कों और आदमियों का खतना कराना होगा। ऐसा करने पर वह पैदाइशी इसराएलियों के बराबर समझा जाएगा और तभी वह फसह का त्योहार मना सकेगा। मगर कोई भी खतनारहित आदमी फसह का खाना नहीं खा सकता।+ 49  पैदाइशी इसराएलियों और तुम्हारे बीच रहनेवाले परदेसियों, दोनों पर एक ही कानून लागू होगा।”+ 50  सब इसराएलियों ने वही किया जो यहोवा ने मूसा और हारून को आज्ञा दी थी। उन्होंने ठीक वैसा ही किया। 51  इसी दिन यहोवा इसराएलियों की पूरी भीड़* को मिस्र से बाहर निकाल लाया।

कई फुटनोट

शा., “दो शामों के बीच।” ज़ाहिर है, सूरज ढलने और अँधेरा होने के बीच का वक्‍त।
शा., “अपनी कमर कसकर।”
पुराने आटे की बची हुई लोई जो खमीरी होती है। नया आटा गूँधते वक्‍त उसे खमीरा बनाने के लिए ऐसी लोई मिलायी जाती थी।
शा., “सेनाओं।”
यानी भेड़ या बकरी के बच्चे।
शा., “नाश।”
शा., “कुंड-घर।”
या “कटोरों।”
यानी गैर-इसराएलियों की एक मिली-जुली भीड़ जिसमें मिस्री भी थे।
शा., “सेनाएँ।”
शा., “सेनाओं।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो