भजन 15:1-5
दाविद का सुरीला गीत।
15 हे यहोवा, कौन तेरे तंबू में मेहमान बनकर रह सकता है?
कौन तेरे पवित्र पहाड़ पर निवास कर सकता है?+
2 वही जो बेदाग ज़िंदगी जीता है,*+हमेशा सही काम करता है+और दिल में सच बोलता है।+
3 वह अपनी ज़बान से दूसरों को बदनाम नहीं करता,+अपने पड़ोसी का कुछ बुरा नहीं करता,+न ही अपने दोस्तों का नाम खराब* करता है।+
4 वह किसी तुच्छ इंसान से नाता नहीं रखता,+मगर यहोवा का डर माननेवालों का सम्मान करता है।
वह अपना वादा निभाता है,* फिर चाहे उसे नुकसान सहना पड़े।+
5 वह ब्याज पर उधार नहीं देता,+न किसी निर्दोष को दोषी ठहराने के लिए रिश्वत लेता है।+
जो कोई ये सब करता है, उसे कभी हिलाया नहीं जा सकता।*+
कई फुटनोट
^ या “निर्दोष चालचलन बनाए रखता है।”
^ या “को शर्मिंदा।”
^ शा., “अपनी शपथ पूरी करता है।”
^ या “वह कभी नहीं डगमगाएगा (या लड़खड़ाएगा)।”