मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 24:1-51
अध्ययन नोट
सच: मत 5:18 का अध्ययन नोट देखें।
इनका एक भी पत्थर दूसरे पत्थर के ऊपर हरगिज़ न बचेगा: यीशु ने जो भविष्यवाणी की थी वह ईसवी सन् 70 में पूरी हुई। रोमी सेना ने यरूशलेम और उसके मंदिर का नाश कर दिया। उसकी शहरपनाह के कुछ हिस्से को छोड़ उसने पूरे शहर को मिट्टी में मिला दिया।
जैतून पहाड़: यह यरूशलेम के पूरब में था। शहर और इस पहाड़ के बीच किदरोन घाटी थी। इस पहाड़ की ऊँचाई से यीशु और उसके चेले “पतरस, याकूब, यूहन्ना और अन्द्रियास” (मर 13:3, 4) शहर और उसके मंदिर को साफ देख सकते थे।
मौजूदगी: यूनानी शब्द पारूसीया का शाब्दिक मतलब है, “साथ-साथ रहना।” इस शब्द के लिए कई अनुवादों में “आने” शब्द इस्तेमाल किया गया है। लेकिन इसका मतलब ‘आना’ नहीं बल्कि मौजूदगी है यानी एक खास दौर। पारूसीया का यही मतलब है, यह बात हमें मत 24:37-39 से पता चलती है जहाँ ‘जलप्रलय से पहले के नूह के दिनों’ की तुलना “इंसान के बेटे की मौजूदगी” से की गयी है। फिल 2:12 में पौलुस ने दो समय के बारे में बताया, एक ‘जब वह उनके साथ था’ और दूसरा ‘जब वह उनसे दूर था’ और पहले समय के लिए उसने यही यूनानी शब्द इस्तेमाल किया।
दुनिया की व्यवस्था: या “ज़माने।” यहाँ यूनानी शब्द आयॉन का मतलब है, किसी दौर के हालात या कुछ खास बातें जो एक दौर या ज़माने को दूसरे दौर या ज़माने से अलग दिखाती हैं।—शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था या व्यवस्थाएँ” देखें।
आखिरी वक्त: इनके यूनानी शब्द सिनटीलीया का मतलब है, “मिलकर अंत होना; एक-साथ अंत होना।” (मत 13:39, 40, 49; 28:20; इब्र 9:26) यहाँ उस दौर की बात की जा रही है जब कई घटनाएँ एक-साथ होंगी और उसके बाद दुनिया का पूरी तरह “अंत” हो जाएगा, जिसके बारे में मत 24:6, 14 में बताया गया है। इन आयतों में “अंत” के लिए एक अलग यूनानी शब्द टीलोस इस्तेमाल हुआ है।—मत 24:6, 14 के अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त” देखें।
मसीह: यूनानी में हो ख्रिस्तौस। “मसीह” और “मसीहा” (इब्रानी में मशीआक) दोनों एक-जैसी उपाधियाँ हैं और इनका मतलब है, “अभिषिक्त जन।” यहूदी इतिहासकार जोसीफस ने बताया कि पहली सदी में कुछ ऐसे लोग थे जो भविष्यवक्ता या मुक्तिदाता होने का दावा करते थे। वे वादा करते थे कि वे लोगों को रोमियों के ज़ुल्मों से छुटकारा दिलाएँगे। शायद इनके हिमायती इन्हें लोगों का मसीहा मानते थे।
अंत: या “पूरी तरह अंत।” यहाँ जो यूनानी शब्द (टीलोस) इस्तेमाल हुआ है वह मत 24:3 में “आखिरी वक्त” के यूनानी शब्द (सिनटीलीया) से अलग है।—मत 24:3 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त” देखें।
राष्ट्र: यूनानी शब्द ईथनोस के कई मतलब हैं, जैसे एक देश में रहनेवाले लोग या एक जाति के लोग।—मत 24:14 का अध्ययन नोट देखें।
हमला करेगा: या “के खिलाफ उठ खड़ा होगा; के खिलाफ भड़काया जाएगा।” यहाँ यूनानी शब्द का मतलब है, ‘दुश्मनी की वजह से किसी के खिलाफ कार्रवाई करना।’ इसलिए इसका अनुवाद इस तरह भी किया जा सकता है: “हथियारों से लैस होकर निकल पड़ना” या “युद्ध के लिए जाना।”
प्रसव-पीड़ा की तरह मुसीबतों: इनके यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, बच्चे को जन्म देते समय होनेवाली भयंकर पीड़ा। जब एक गर्भवती औरत की प्रसव-पीड़ा शुरू होती है, तो यह दर्द थोड़ी-थोड़ी देर में बार-बार उठता है, बढ़ता ही जाता है और कुछ समय तक रहता है। हालाँकि इस आयत में मुसीबतों और दुख-तकलीफों की बात की गयी है, लेकिन इनके यूनानी शब्द का इस्तेमाल शायद यह समझाने के लिए किया गया है कि मत 24:21 में बताए महा-संकट से पहले जब मुसीबतें और दुख-तकलीफें एक बार शुरू होंगी, तो वे बार-बार आती रहेंगी, बढ़ती जाएँगी और कुछ समय तक रहेंगी।
दुष्टता: इसके यूनानी शब्द के मतलब में कानून को तुच्छ समझना और उसे तोड़ना शामिल है। इस तरह दुष्टता करनेवाले लोग ऐसा व्यवहार करते हैं मानो कोई कानून है ही नहीं। बाइबल में इस यूनानी शब्द का मतलब है, परमेश्वर के कानून को तुच्छ समझना।—मत 7:23; 2कुर 6:14; 2थि 2:3-7; 1यूह 3:4.
कई लोगों: यहाँ पर दुनिया के “ज़्यादातर लोगों” की बात की जा रही है क्योंकि उन पर ‘झूठे भविष्यवक्ताओं’ और “दुष्टता” का असर है, जैसा मत 24:11, 12 में बताया गया है।
धीरज धरेगा: या “धीरज धरता है।” इनकी यूनानी क्रिया (हाइपोमेनो) का शाब्दिक मतलब है, “में बने (या टिके) रहना।” इसका अकसर मतलब होता है, “भागने के बजाय बने रहना; डटे रहना; लगे रहना; अटल रहना।” (मत 10:22; रोम 12:12; इब्र 10:32; याकू 5:11) इस संदर्भ में इस क्रिया का मतलब है, मसीह का चेला होने के नाते एक व्यक्ति का सही राह पर बने रहना, फिर चाहे इसके लिए उसे कितने भी विरोध या मुश्किलों का सामना क्यों न करना पड़े।—मत 24:9-12.
अंत: मत 24:6, 14 के अध्ययन नोट देखें।
राज: यानी परमेश्वर का राज। पूरे मसीही यूनानी शास्त्र में “खुशखबरी” (इसी आयत में इस खुशखबरी पर अध्ययन नोट देखें) परमेश्वर के राज से जुड़ी है। यीशु ने इसी के बारे में प्रचार किया और सिखाया।—मत 3:2; 4:23; लूक 4:43 के अध्ययन नोट देखें।
इस खुशखबरी: यूनानी शब्द इयूएजीलियोन दो शब्दों से मिलकर बना है। एक है इयू जिसका मतलब है, “अच्छा” और दूसरा है एजीलोस जिसका मतलब है, “खबर लानेवाला; ऐलान (या घोषणा) करनेवाला।” (शब्दावली में “खुशखबरी” देखें।) बाइबल के कुछ हिंदी अनुवादों में इसे “सुसमाचार” कहा गया है। इससे संबंधित यूनानी शब्द इयूएजीलिसतीस का मतलब है, “खुशखबरी सुनानेवाला” और इसका अनुवाद “प्रचारक” किया गया है।—प्रेष 21:8; इफ 4:11, फु.; 2ती 4:5, फु.
सारे जगत . . . सब राष्ट्रों: इन शब्दों से पता चलता है कि प्रचार काम कितने बड़े पैमाने पर किया जाएगा। “सारे जगत” के यूनानी शब्द (ओइकूमीने) का आम तौर पर मतलब होता है, पृथ्वी। (लूक 4:5; प्रेष 17:31; रोम 10:18; प्रक 12:9; 16:14) पहली सदी में यह शब्द विशाल रोमी साम्राज्य के लिए भी इस्तेमाल होता था, जहाँ यहूदी अलग-अलग जगहों में रहते थे। (लूक 2:1; प्रेष 24:5) “राष्ट्र” के लिए यूनानी शब्द (ईथनोस) का आम तौर पर मतलब होता है, ऐसे लोगों का समूह जिनका एक-दूसरे से खून का रिश्ता है और जो एक भाषा बोलते हैं। ऐसे लोग अकसर एक ही देश में रहते हैं।
प्रचार किया जाएगा: या “सरेआम ऐलान किया जाएगा।”—मत 3:1 का अध्ययन नोट देखें।
अंत: या “पूरी तरह अंत।”—मत 24:3, 6 के अध्ययन नोट देखें।
पवित्र जगह: जब यह भविष्यवाणी पहली बार पूरी हुई तो “पवित्र जगह” का मतलब था, यरूशलेम और उसका मंदिर।—मत 4:5 का अध्ययन नोट देखें।
यहूदिया: एक रोमी प्रांत।
पहाड़ों की तरफ: चौथी सदी के इतिहासकार युसेबियस के मुताबिक यहूदिया और यरूशलेम में रहनेवाले मसीही भागकर यरदन नदी के पार पेल्ला शहर चले गए थे। यह शहर दिकापुलिस के पहाड़ी इलाके में था।
घर की छत पर: इसराएलियों के घरों की छतें सपाट होती थीं और उन पर कई काम होते थे। जैसे, छत पर चीज़ें रखी जाती थीं (यह 2:6), लोग आराम करते थे (2शम 11:2), सोते थे (1शम 9:26) और त्योहार मनाते थे (नहे 8:16-18)। इसलिए कानून के मुताबिक छत पर मुँडेर बनाना ज़रूरी था। (व्य 22:8) आम तौर पर छत पर जाने के लिए घर के बाहर से जीना बनाया जाता था या सीढ़ी लगायी जाती थी और लोग घर के अंदर आए बिना ही छत से उतरकर बाहर जा सकते थे। तो जब यीशु ने आयत में लिखी बात कही तो उसका मतलब था कि उन्हें फौरन कदम उठाना था।
सर्दियों के मौसम में: इस मौसम में ज़ोरदार बारिश, बाढ़ और कड़ाके की ठंड पड़ती थी। ऐसे में सफर करना और खाने और ठहरने की जगह का बंदोबस्त करना मुश्किल हो सकता था।—एज 10:9, 13.
सब्त के दिन: सब्त के नियम की वजह से यहूदिया जैसे इलाकों में कई पाबंदियाँ थीं, इसलिए एक व्यक्ति के लिए लंबा सफर करना या बोझ उठाना मुश्किल हो सकता था। साथ ही, सब्त के दिन शहरों के फाटक भी बंद रहते थे।—प्रेष 1:12 और अति. ख12 देखें।
झूठे मसीह: या “झूठे मसीहा।” यूनानी शब्द स्यूडोख्रिस्तौस सिर्फ इस आयत में और मर 13:22 में आता है जहाँ यही ब्यौरा दर्ज़ है। इसका मतलब है, ऐसा हर इंसान जो मसीह या मसीहा (शा., “अभिषिक्त जन”) होने का दावा करता है।—मत 24:5 का अध्ययन नोट देखें।
देखो!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।
इंसान के बेटे: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।
मौजूदगी: मत 24:3 का अध्ययन नोट देखें।
दुख के मारे छाती पीटेंगी: या “मातम मनाएँगी।” एक इंसान जब बार-बार अपनी छाती पीटता है तो इससे ज़ाहिर होता है कि उसका गम बरदाश्त से बाहर है, या वह बहुत दोषी महसूस कर रहा है या बहुत पछता रहा है।—यश 32:12; नहू 2:7; लूक 23:48.
आकाश के बादलों: बादलों की वजह से चीज़ें साफ नहीं बल्कि धुँधली नज़र आती हैं। (प्रेष 1:9) इसलिए यहाँ मन की आँखों से ‘देखने’ की बात की गयी है।
देखेंगे: इसकी यूनानी क्रिया का शाब्दिक मतलब है, “कोई चीज़ देखना; निहारना।” मगर यह क्रिया रूपक अलंकार के तौर पर भी इस्तेमाल की जा सकती है। इसलिए इसका मतलब “समझना; जानना” भी हो सकता है।—इफ 1:18.
चारों दिशाओं: शा., “चारों हवाओं।” यह एक मुहावरा है जिसका मतलब है चार दिशाएँ: उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम। इससे पता चलता है कि “सब दिशाओं से; सब जगहों से” चुने हुओं को इकट्ठा किया जाएगा।—यिर्म 49:36; यहे 37:9; दान 8:8.
मिसाल: या “नीति-कथा।”—मत 13:3 का अध्ययन नोट देखें।
आकाश और पृथ्वी मिट जाएँगे: बाइबल की दूसरी आयतों से पता चलता है कि आकाश और पृथ्वी हमेशा रहेंगे। (उत 9:16; भज 104:5; सभ 1:4) इसलिए कहा जा सकता है कि यीशु अतिशयोक्ति अलंकार का इस्तेमाल कर रहा था, जिसका मतलब है कि भले ही नामुमकिन घटना हो जाए यानी आकाश और पृथ्वी मिट जाएँ, मगर यीशु की बात पूरी होकर रहेगी। (मत 5:18 से तुलना करें।) लेकिन लगता है कि यहाँ लाक्षणिक आकाश और पृथ्वी की बात की गयी है, जिन्हें प्रक 21:1 में “पुराना आकाश और पुरानी पृथ्वी” कहा गया है।
मेरे शब्द कभी नहीं मिटेंगे: या “मेरे शब्द किसी भी हाल में नहीं मिटेंगे।” यहाँ यूनानी में क्रिया के साथ दो ऐसे शब्द इस्तेमाल हुए जिनका मतलब है, “नहीं।” यह दिखाता है कि यीशु की कही बात पूरी न हो, यह कभी सोचा भी नहीं जा सकता। इस तरह इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि यीशु ने जो कहा वह पूरा होकर ही रहेगा।
मौजूदगी: मत 24:3 का अध्ययन नोट देखें।
जलप्रलय: या “बाढ़; प्रलय।” यूनानी शब्द कैटाक्लिसमॉस का मतलब है, ऐसी भयंकर बाढ़ जिससे सबकुछ तबाह हो जाता है। बाइबल में यह शब्द नूह के दिनों में आए जलप्रलय के लिए इस्तेमाल हुआ है।—मत 24:39; लूक 17:27; 2पत 2:5.
जहाज़: यूनानी शब्द का अनुवाद “बक्सा” भी किया जा सकता है। यह एक बड़े आयताकार बक्से जैसा जलपोत था और माना जाता है कि इसका निचला हिस्सा सपाट था।
जागते रहो: यूनानी शब्द का बुनियादी मतलब है, “जागते रहना।” मगर कई जगहों पर इसका मतलब है, “सावधान रहना; चौकन्ना रहना।” मत्ती ने यह शब्द मत 24:43; 25:13; 26:38, 40, 41 में इस्तेमाल किया। मत 24:44 में लिखी बात से पता चलता है कि इसका नाता ‘तैयार रहने’ से भी है।—मत 26:38 का अध्ययन नोट देखें।
बुद्धिमान: या “सूझ-बूझ से काम लेनेवाला।” यहाँ इस्तेमाल हुए यूनानी शब्द में यह सब शामिल है: अंदरूनी समझ, पहले से सोचना, समझदारी, होशियारी और समझ-बूझ से काम लेना। यही यूनानी शब्द मत 7:24 और 25:2, 4, 8, 9 में आया है। सेप्टुआजेंट में यह शब्द उत 41:33, 39 में यूसुफ के सिलसिले में इस्तेमाल हुआ है।
अपने घर के कर्मचारियों: या “अपने घर के सेवकों।”
उसे कड़ी-से-कड़ी सज़ा देगा: शा., “उसके दो टुकड़े कर देगा।” इन शब्दों का यह मतलब नहीं कि वाकई उसके दो टुकड़े कर दिए जाएँगे बल्कि इसका मतलब है, उसे सख्त सज़ा दी जाएगी।
कपटियों: मत 6:2 का अध्ययन नोट देखें।
दाँत पीसेगा: मत 8:12 का अध्ययन नोट देखें।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
ये पत्थर यरूशलेम की पश्चिमी दीवार के दक्षिणी हिस्से के पास पड़े हुए हैं। माना जाता है कि ये पत्थर पहली सदी के मंदिर के हैं। इन्हें यूँ ही छोड़ दिया गया है ताकि ये लोगों को याद दिलाते रहें कि रोमी लोगों ने यरूशलेम और उसके मंदिर का नाश किया था।
जैतून पहाड़ (1) चूना-पत्थर की गोलाकार पहाड़ियों की शृंखला है। यह पहाड़ यरूशलेम के पूरब में है और बीच में किदरोन घाटी है। जिस पहाड़ पर मंदिर (2) होता था, उसके ठीक सामने जैतून पहाड़ की सबसे ऊँची चोटी है और उसकी ऊँचाई करीब 2,664 फुट (812 मी.) है। आम तौर पर इसी चोटी को बाइबल में जैतून पहाड़ कहा गया है। इसी चोटी पर यीशु ने अपने चेलों को अपनी मौजूदगी की निशानी बतायी।
यूनानी शब्द ईमाटियोन का अनुवाद “ओढ़ना” या “चोगा” किया गया है। मुमकिन है कि इसका इब्रानी शब्द सिमलाह है। कुछ आयतों में इसका मतलब एक ढीला-ढाला चोगा रहा होगा, लेकिन अकसर इसका मतलब होता है, एक आयताकार कपड़ा। यह आसानी से पहना और उतारा जा सकता था।
वसंत के मौसम में अंजीर के पेड़ की डालियाँ बढ़ती हैं और उन पर नयी पत्तियाँ और पहली फसल के फल लगते हैं। इसराएल में अंजीर के पेड़ में आम तौर पर फरवरी में फल लगते हैं और अप्रैल के आखिर में या मई में नयी पत्तियाँ आती हैं। इससे पता चलता है कि गरमियों का मौसम पास है। (मत 24:32) अंजीर का पेड़ साल में दो बार फलता है। इसकी पहली फसल जून या जुलाई की शुरूआत में पककर तैयार होती है। (यश 28:4; यिर्म 24:2; हो 9:10) जब पेड़ पर नयी छाल आती है, तब दूसरी फसल लगती है और अगस्त से पकनी शुरू हो जाती है। यह मुख्य फसल होती है।
बाइबल के ज़माने में कई तरह की चक्कियाँ होती थीं जिनमें से एक थी, हाथ की चक्की। इसे आम तौर पर दो औरतें चलाती थीं। (लूक 17:35) वे आमने-सामने बैठती थीं और चक्की के ऊपरी पाट पर लगे हत्थे को दोनों एक-एक हाथ से पकड़कर घुमाती थीं। एक औरत अपने दूसरे हाथ से पाट में बने छेद में थोड़ा-थोड़ा करके अनाज डालती रहती थी। चक्की के नीचे एक तश्तरी रखी जाती थी या एक कपड़ा बिछाया जाता था जिस पर पिसा हुआ अनाज गिरता था। दूसरी औरत इस पिसे हुए अनाज को इकट्ठा करती जाती थी। औरतें हर दिन सुबह-सुबह उठकर अनाज पीसती थीं और उसी से दिन में रोटी बनाती थीं।