यशायाह 1:1-31

1  यहूदा और यरूशलेम के बारे में यशायाह* का दर्शन।+ आमोज के बेटे यशायाह ने यह दर्शन यहूदा के राजा उज्जियाह,+ योताम,+ आहाज+ और हिजकियाह+ के दिनों में देखा था।+   हे आकाश सुन, हे पृथ्वी कान लगा!+ यहोवा कहता है, “जिन बेटों को मैंने पाल-पोसकर बड़ा किया,+वे मेरे ही खिलाफ हो गए।+   बैल अपने मालिक को पहचानता हैऔर गधा अपने मालिक की चरनी को,लेकिन इसराएल मुझे* नहीं पहचानता,+मेरे अपने लोग समझ से काम नहीं लेते।”   हे पापी राष्ट्र, धिक्कार है तुझ पर!+ हे बुरे काम से लदे हुए लोगो,हे भ्रष्ट बच्चो और दुष्टों की टोली, धिक्कार है तुम पर! तुमने यहोवा को छोड़ दिया है,+इसराएल के पवित्र परमेश्‍वर का अपमान किया है,उससे मुँह फेर लिया है।   तुम बगावत करने से बाज़ नहीं आते,अब मैं तुम्हें और कहाँ मारूँ?+ तुम्हारा पूरा सिर घाव से भरा हैऔर दिल पूरी तरह बीमार है।+   सिर से पाँव तक ऐसी एक भी जगह नहीं जहाँ तुम्हें चोट न लगी हो। जगह-जगह ज़ख्म, चोट और सड़े हुए घाव हैं,न तो उनका मवाद निकाला गया,* न उन पर पट्टी बाँधी गयीऔर न ही तेल लगाकर उन्हें नरम किया गया।+   तुम्हारा देश उजाड़ दिया गया है,तुम्हारे शहर जला दिए गए हैं,परदेसी तुम्हारे सामने तुम्हारी फसल खा रहे हैं।+ देश वीरान हो गया है जैसे दुश्‍मनों ने इसे तबाह कर दिया हो।+   सिय्योन शहर को ऐसा छोड़ दिया गया है मानो वह अंगूरों के बाग का छप्पर,खीरे के खेत में झोंपड़ीऔर सेना से घिरा हुआ शहर हो।+   अगर सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा ने हममें से कुछ को रहने न दिया होता,तो हम सदोम की तरह बन गए होते,हमारा हाल अमोरा जैसा हो गया होता।+ 10  हे सदोम के तानाशाहो,* यहोवा का संदेश सुनो!+ हे अमोरा के लोगो,+ हमारे परमेश्‍वर के कानून* पर ध्यान दो! 11  यहोवा कहता है, “तुम्हारे ढेरों बलिदान मेरे किस काम के?+ मेढ़ों की होम-बलि+ और मोटे-ताज़े जानवरों की चरबी+ से मैं उकता चुका हूँ,अब मुझे तुम्हारे बैलों और भेड़-बकरियों+ के खून+ से कोई खुशी नहीं मिलती। 12  तुमसे किसने कहा कि मेरे सामने आओ,+मेरे आँगनों को यूँ रौंदो?+ 13  तुम अनाज का अपना व्यर्थ चढ़ावा लाना बंद करो! तुम्हारा धूप जलाना मुझे घिनौना लगता है।+ तुम नया चाँद+ और सब्त मनाते हो+ और पवित्र सभाएँ रखते हो।+ लेकिन मुझसे यह बरदाश्‍त नहीं होता कि खास सभाएँ रखने के साथ-साथ तुम जादू-टोना करो।+ 14  मुझे तुम्हारे नए चाँद के दिनों और त्योहारों से नफरत है, ये मुझे बोझ लगने लगे हैं, इन्हें ढोते-ढोते मैं थक गया हूँ। 15  जब तुम मेरे आगे हाथ फैलाओगे,तो मैं अपनी आँखें फेर लूँगा।+ तुम चाहे जितनी भी प्रार्थना कर लो,+मैं तुम्हारी एक न सुनूँगा,+क्योंकि तुम्हारे हाथ खून से रंगे हैं।+ 16  खुद को धोओ और शुद्ध करो,+मेरे सामने से अपने दुष्ट काम दूर करो,बुराई करना बंद करो।+ 17  भलाई करना सीखो, न्याय करो,+ज़ुल्म करनेवालों को सुधारो,अनाथों* के हक के लिए लड़ोऔर विधवाओं को इंसाफ दिलाओ।”+ 18  यहोवा कहता है, “आओ हम आपस में मामला सुलझा लें,+चाहे तुम्हारे पाप सुर्ख लाल रंग के हों,तो भी वे बर्फ के समान सफेद हो जाएँगे।+ चाहे वे गहरे लाल रंग के हों,तो भी वे ऊन की तरह उजले बन जाएँगे। 19  अगर तुम मेरी बात मानने को राज़ी हो,तो तुम देश की बढ़िया-बढ़िया चीज़ें खाओगे।+ 20  लेकिन अगर तुम नहीं मानोगे और मेरे खिलाफ हो जाओगे,तो तुम तलवार की भेंट चढ़ जाओगे।+यह बात यहोवा ने कही है।” 21  देखो, यह विश्‍वासयोग्य नगरी+ कैसी वेश्‍या बन गयी है!+ जिस नगरी में न्याय का बोलबाला था,+नेकी का बसेरा था,+अब वहाँ हत्यारे रहते हैं।+ 22  तुम्हारी चाँदी, धातु का मैल बन गयी है,+तुम्हारी शराब* में पानी मिल गया है। 23  तुम्हारे हाकिम अड़ियल हैं और चोरों से मिले हुए हैं,+ सब-के-सब घूस खाते हैं, तोहफे के पीछे भागते हैं,+ अनाथों को न्याय नहीं देतेऔर विधवाओं के मुकदमे की सुनवाई नहीं करते।+ 24  इसलिए सच्चा प्रभु, सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा,इसराएल का शक्‍तिशाली परमेश्‍वर ऐलान करता है, “अब मैं अपने दुश्‍मनों को खदेड़ूँगा,अपने बैरियों से बदला लूँगा।+ 25  मैं तुम्हारे खिलाफ अपना हाथ उठाऊँगाऔर जैसे चाँदी को पिघलाकर उसका मैल सज्जी* से दूर किया जाता है,वैसे ही मैं तुम्हारी सारी अशुद्धता दूर करूँगा।+ 26  फिर मैं पहले की तरह,तुम पर न्यायी और सलाहकार ठहराऊँगा।+ इसके बाद तुम नेक नगरी और विश्‍वासयोग्य नगरी कहलाओगे।+ 27  सिय्योन न्याय के दम पर छुड़ायी जाएगी+और उसके लौटनेवाले लोग नेकी से छुड़ाए जाएँगे। 28  मगर बागियों और पापियों का एक-साथ नाश हो जाएगा+और यहोवा को छोड़ देनेवालों का अंत हो जाएगा।+ 29  जो ऊँचे-ऊँचे पेड़ तुम्हें प्यारे थे, उनकी वजह से तुम्हें शर्मिंदा होना पड़ेगा।+अपने चुने हुए बगीचों* की वजह से तुम्हें बेइज़्ज़त होना पड़ेगा।+ 30  तुम उस बड़े पेड़ जैसे बन जाओगे जिसके पत्ते मुरझा रहे हैं,+उस बगीचे के समान हो जाओगे जिसमें पानी नहीं। 31  ताकतवर आदमी अलसी के धागे जैसा बन जाएगाऔर उसके काम चिंगारी जैसे हो जाएँगे,दोनों एक साथ जलेंगे,उन्हें बुझानेवाला कोई न होगा।”

कई फुटनोट

मतलब “यहोवा उद्धार है।”
या “अपने मालिक को।”
शा., “घाव दबाए गए।”
या “के शासको।”
या “की शिक्षा।”
या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”
या “गेहूँ से बनी शराब।”
एक तरह का साबुन।
ज़ाहिर है कि ये पेड़ और बगीचे मूर्तिपूजा से जुड़े हैं।

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो