लूका के मुताबिक खुशखबरी 3:1-38
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
तिबिरियुस के राज के 15वें साल: सम्राट औगुस्तुस की मौत (ग्रेगरियन कैलेंडर के मुताबिक) ईसवी सन् 14 में 17 अगस्त को हुई थी। फिर 15 सितंबर को तिबिरियुस की इजाज़त से रोम की परिषद् ने उसे सम्राट घोषित किया। अगर औगुस्तुस की मौत से साल गिने जाएँ, तो तिबिरियुस के राज का 15वाँ साल ईसवी सन् 28 के अगस्त से ईसवी सन् 29 के अगस्त तक होगा। लेकिन अगर तिबिरियुस को सम्राट घोषित किए जाने से गिना जाए, तो उसके राज का 15वाँ साल ईसवी सन् 28 के सितंबर से ईसवी सन् 29 के सितंबर तक होगा। ज़ाहिर है कि यूहन्ना ने अपनी सेवा ईसवी सन् 29 के वसंत (उत्तरी गोलार्ध के हिसाब से) यानी मार्च या अप्रैल में शुरू की जब तिबिरियुस के राज का 15वाँ साल चल रहा था। तिबिरियुस के राज के 15वें साल में यूहन्ना करीब 30 साल का रहा होगा। इसी उम्र में लेवी याजक मंदिर में सेवा करना शुरू करते थे। (गि 4:2, 3) उसी तरह, जब यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया और “अपनी सेवा शुरू की” तो लूक 3:21-23 के मुताबिक, “वह करीब 30 साल का था।” यीशु की मौत वसंत में नीसान महीने में हुई थी। इसका मतलब, उसकी साढ़े तीन साल की सेवा पतझड़ में करीब एतानीम महीने (सितंबर या अक्टूबर) में शुरू हुई होगी। मुमकिन है कि यूहन्ना, यीशु से छ: महीने बड़ा था और ज़ाहिर-सी बात है कि उसने यीशु से छ: महीने पहले अपनी सेवा शुरू की होगी। (लूक, अध्य. 1) इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए यह कहना सही होगा कि यूहन्ना ने ईसवी सन् 29 के वसंत में अपनी सेवा शुरू की थी।—लूक 3:23; यूह 2:13 के अध्ययन नोट देखें।
हेरोदेस: यानी हेरोदेस महान का बेटा हेरोदेस अन्तिपास।—शब्दावली देखें।
ज़िला-शासक: शा., “तित्रअर्खेस।” यह उपाधि एक छोटे ज़िला-शासक या एक इलाके के हाकिम को दी जाती थी, जो रोमी अधिकारियों की मंज़ूरी से ही शासन करता था।—मत 14:1; मर 6:14 के अध्ययन नोट देखें।
हेरोदेस का भाई फिलिप्पुस: फिलिप्पुस, हेरोदेस महान और उसकी पत्नी क्लियोपैट्रा का बेटा था जो यरूशलेम की रहनेवाली थी। फिलिप्पुस को कभी-कभी ‘तित्रअर्खेस फिलिप्पुस’ भी कहा गया है क्योंकि जैसे मत 14:3 और मर 6:17 में बताया गया है, उसके भाई का नाम भी फिलिप्पुस था (जिसे कभी-कभी ‘हेरोदेस फिलिप्पुस’ कहा गया है)।—मत 16:13 का अध्ययन नोट भी देखें।
इतूरैया: गलील झील के उत्तर-पूरब में एक छोटा-सा इलाका, जिसकी सरहदें तय नहीं थीं बल्कि बदलती रहती थीं। ज़ाहिर है कि यह लबानोन पर्वतमाला और पूर्वी लबानोन पर्वतमाला के पास पड़ता था।—अति. ख10 देखें।
त्रखोनीतिस: यह नाम एक मूल यूनानी शब्द से निकला है जिसका मतलब है, असमतल। शायद यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वह इलाका ऊबड़-खाबड़ था। त्रखोनीतिस उस इलाके का हिस्सा था जो पहले बाशान के नाम से जाना जाता था (व्य 3:3-14) और इतूरैया के पूरब में पड़ता था। त्रखोनीतिस का क्षेत्रफल करीब 900 वर्ग कि.मी. (350 वर्ग मील) ही था। इस इलाके की उत्तरी सरहद, दमिश्क के दक्षिण-पूरब में करीब 40 कि.मी. (25 मील) तक फैली थी।
लिसानियास: लूका की किताब के मुताबिक, जब यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने अपनी सेवा शुरू की तब लिसानियास रोमी ज़िला अबिलेने “का ज़िला-शासक [शा., “तित्रअर्खेस”] था।” कुछ लोगों का दावा है कि लूका ने गलती से उस लिसानियास के बारे में लिखा, जो पास की कालकीस नाम की जगह का राजा था और जिसे ईसा पूर्व 34 में ही मार डाला गया था, यानी उस समय से सालों पहले जिसका ज़िक्र लूका ने किया। लेकिन अबिलेने की राजधानी अबिला में, जो सीरिया के दमिश्कि के पास था, (अति. ख10 देखें।) एक शिलालेख मिला है जिससे उनका यह दावा झूठा साबित होता है। उस शिलालेख के मुताबिक, रोमी सम्राट तिबिरियुस के शासनकाल में लिसानियास नाम का एक तित्रअर्खेस था।
अबिलेने: एक रोमी ज़िला, जिसका नाम उसकी राजधानी अबिला के नाम पर पड़ा था। यह ज़िला, हेरमोन पहाड़ के उत्तर में पूर्वी लबानोन पर्वतमाला के इलाके में पड़ता था।—शब्दावली में “लबानोन पर्वतमाला” देखें।
हन्ना एक प्रधान याजक और कैफा: लूका ने जब यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की सेवा शुरू करने की बात लिखी, तो उसने उन दिनों का ज़िक्र किया, जब यहूदी याजकवर्ग पर दो बड़े आदमियों, हन्ना और कैफा का दबदबा था। हन्ना को सीरिया के रोमी राज्यपाल क्वीरिनियुस ने ईसवी सन् 6 या 7 में महायाजक ठहराया था और वह करीब ईसवी सन् 15 तक महायाजक रहा। हन्ना को जब रोमी सरकार ने उसके पद से हटा दिया तो उसके पास महायाजक की उपाधि नहीं रही। फिर भी ज़ाहिर है कि महायाजक के तौर पर उसका पहले जो दबदबा था वह उसने बनाए रखा। साथ ही, यहूदी समाज में उसी की चलती थी। उसके पाँच बेटे महायाजक रह चुके थे और उसका दामाद कैफा करीब ईसवी सन् 18 से 36 तक महायाजक रहा। हालाँकि ईसवी सन् 29 में कैफा महायाजक था, मगर हन्ना को “प्रधान याजक” कहना सही होगा, क्योंकि उसका काफी दबदबा था।—यूह 18:13, 24; प्रेष 4:6.
यूहन्ना: सिर्फ लूका की किताब में यूहन्ना को जकरयाह का बेटा कहा गया है। (लूक 1:5 का अध्ययन नोट देखें।) इसके अलावा, सिर्फ लूका ने यह बताया कि यूहन्ना के पास परमेश्वर का संदेश पहुँचा। ये शब्द उन शब्दों से मिलते-जुलते हैं जो सेप्टुआजेंट में भविष्यवक्ता एलियाह के सिलसिले में इस्तेमाल हुए हैं (1रा 17:2; 20:28; 21:28), जिसकी तुलना यूहन्ना से की गयी थी। (मत 11:14; 17:10-13) खुशखबरी की तीनों समदर्शी किताबों (मत्ती, मरकुस और लूका) में बताया गया है कि यूहन्ना वीराने में था। मगर मत्ती ने यह भी बताया कि वह किस वीराने में था। उसने लिखा: “यहूदिया के वीरान इलाकों में।” ये इलाके बंजर थे जहाँ आम तौर पर कोई नहीं रहता था। ये यहूदिया के पहाड़ों की पूर्वी ढलान पर पाए जाते हैं। यह ढलान पहाड़ों की चोटी से करीब 3,900 फुट (1,200 मी.) नीचे तक जाती है, जहाँ ये यरदन नदी के पश्चिमी किनारे से और मृत सागर से मिलती है।—मत 3:1 का अध्ययन नोट देखें।
बपतिस्मा . . . इस बात की निशानी ठहरेगा कि उन्होंने . . . पश्चाताप किया है: मर 1:4 का अध्ययन नोट देखें।
यहोवा: यहाँ यश 40:3 की बात लिखी है। मूल इब्रानी पाठ में इस आयत में परमेश्वर के नाम के लिए चार इब्रानी व्यंजन (हिंदी में य-ह-व-ह) इस्तेमाल हुए हैं। (अति. ग देखें।) लूका ने बताया कि यह भविष्यवाणी यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला पूरी करेगा। यहोवा का रास्ता तैयार करने का मतलब है कि यूहन्ना, यहोवा के प्रतिनिधि यीशु के लिए रास्ता तैयार करेगा जो अपने पिता के नाम से आएगा। (यूह 5:43; 8:29) प्रेषित यूहन्ना की खुशखबरी की किताब में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने खुद कहा कि उसने यह भविष्यवाणी पूरी की।—यूह 1:23.
बपतिस्मा लेने: या “डुबकी लगाने।”—मत 3:11 का अध्ययन नोट देखें।
पश्चाताप दिखानेवाले फल: यूहन्ना के सुननेवाले अगर अपना मन या रवैया बदलते थे तो इसका सबूत उन्हें अपने कामों से देना होता था।—मत 3:8; प्रेष 26:20; कृपया मत 3:2, 11 के अध्ययन नोट और शब्दावली में “पश्चाताप” देखें।
कर-वसूलनेवाले: मत 5:46 का अध्ययन नोट देखें।
जो सेना में थे: ज़ाहिर है कि ये यहूदी सैनिक थे जिनका शायद काम था, सिपाहियों की तरह जाँच-पड़ताल करना, व्यापारियों से चुंगी लेना, या लोगों से कर वसूलना। यहूदी सैनिक उस राष्ट्र के सदस्य थे, जिसके साथ यहोवा परमेश्वर ने करार किया था। अगर वे सैनिक अपने पापों के पश्चाताप की निशानी के तौर पर बपतिस्मा लेना चाहते थे तो उन्हें अपना चालचलन बदलना था। उन्हें लोगों से पैसे ऐंठना और दूसरे अपराध बंद करने थे जिनके लिए आम तौर पर सैनिक बदनाम थे।—मत 3:8.
किसी पर झूठा इलज़ाम मत लगाओ: ‘झूठा इलज़ाम लगाने’ की यूनानी क्रिया है, साइकोफैंटीयो। इसका अनुवाद लूक 19:8 में “लूटा” और “झूठ बोलकर लूटा” किया गया है। (लूक 19:8 का अध्ययन नोट देखें।) इस क्रिया का शाब्दिक मतलब इस तरह समझाया गया है: “अंजीर का फल दिखाकर लेना।” इस क्रिया की शुरूआत कैसे हुई, इस बारे में अलग-अलग धारणाएँ हैं। एक है कि प्राचीन एथेन्स में अंजीर के फलों का निर्यात करना मना था। इसलिए अगर कोई दूसरों को बदनाम करने के लिए उन पर यह इलज़ाम लगाता कि उन्होंने अंजीर का निर्यात करने की कोशिश की है, तो उसे “अंजीर दिखानेवाला” कहा जाता था। बाद में यह नाम ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल होने लगा, जो अपने फायदे के लिए दूसरों पर झूठा इलज़ाम लगाते थे या लोगों को धमकाकर अपना काम निकलवाते थे।
रोज़ी-रोटी: या “मज़दूरी; वेतन।” यहाँ यह शब्द सैनिकों के सिलसिले में इस्तेमाल हुआ है जिसका मतलब है, सैनिकों को दिया जानेवाला वेतन, राशन-पानी के लिए पैसा या भत्ता। शुरू में सैनिकों को जो भत्ता दिया जाता था उसमें शायद खाने-पीने का सामान और दूसरी चीज़ें भी शामिल थीं। जो यहूदी सैनिक यूहन्ना के पास आए, वे शायद सिपाहियों की तरह मामलों की जाँच-पड़ताल करते थे, खासकर चुंगी या कर लेने के मामले में। ज़्यादातर सैनिकों को बहुत कम मज़दूरी मिलती थी, इसलिए ज़ाहिर है कि और भी कमाई के लिए वे अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल करके दूसरों से पैसे ऐंठते थे। शायद इसीलिए यूहन्ना ने उन सैनिकों को इस आयत में लिखी सलाह दी। “रोज़ी-रोटी” का यूनानी शब्द 1कुर 9:7 में भी इस्तेमाल हुआ है जिसका अनुवाद इस तरह किया गया है: “अपना खर्च खुद उठाता है।” यहाँ पौलुस ने उस मज़दूरी की बात की जो एक मसीही “सैनिक” को मिलनी चाहिए।
मसीह के आने की बड़ी आस लगाए थे: या “मसीह के आने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे।” लोगों की बड़ी आस लगाने की कई वजह रही होंगी जैसे, स्वर्गदूतों ने यीशु के जन्म की खुशखबरी सुनायी और उस बारे में चरवाहों ने बाद में दूसरों को बताया। (लूक 2:8-11, 17, 18) मंदिर में भविष्यवक्तिन हन्ना ने उस बच्चे के बारे में लोगों को खुलकर बताया था। (लूक 2:36-38) यही नहीं, ज्योतिषियों ने कहा कि “यहूदियों का जो राजा पैदा हुआ है” उसे वे दंडवत करने आए हैं और इस बात का असर हेरोदेस, प्रधान याजकों, शास्त्रियों और यरूशलेम के सब लोगों पर हुआ।—मत 2:1-4.
बपतिस्मा देता हूँ: मत 3:11 का अध्ययन नोट देखें।
ज़िला-शासक: मत 14:1 का अध्ययन नोट देखें।
जब वह प्रार्थना कर रहा था: लूका ने अपनी खुशखबरी की किताब में प्रार्थना के विषय पर खास ध्यान दिया। सिर्फ उसी ने ऐसे कई मौकों का ज़िक्र किया जब यीशु ने प्रार्थना की। इसका एक उदाहरण इस आयत में है जहाँ लूका ने बताया कि यीशु ने अपने बपतिस्मे के वक्त प्रार्थना की। यीशु ने अपनी इस प्रार्थना में कुछ खास बातें कहीं जिनके बारे में लगता है कि बाद में पौलुस ने लिखा। (इब्र 10:5-9) ऐसे और भी उदाहरण हैं जिनमें सिर्फ लूका ने यीशु को प्रार्थना करते हुए बताया: लूक 5:16; 6:12; 9:18, 28; 11:1; 23:46.
आकाश खुल गया: जब यीशु का बपतिस्मा और पवित्र शक्ति से अभिषेक हुआ तब ज़ाहिर है कि परमेश्वर ने कुछ ऐसा किया कि उसे स्वर्ग की सारी बातें याद आ गयीं। उसे वे सच्चाइयाँ भी याद आ गयी होंगी जो उसने धरती पर आने से पहले स्वर्ग में अपने पिता से सीखी थीं। यह यीशु की उन बातों से साफ देखा जा सकता है जो उसने बपतिस्मे के बाद अपनी सेवा के दौरान कही थीं। खासकर ईसवी सन् 33 में फसह की रात अकेले में प्रार्थना करते वक्त उसने जो कहा उससे ज़ाहिर होता है कि वह स्वर्ग में अपनी ज़िंदगी के बारे में जानता था। स्वर्ग में उसके पिता ने जो बातें कहीं और जो काम किए वह सब उसे याद था और यह भी कि स्वर्ग में उसकी कैसी महिमा थी।—यूह 6:46; 7:28, 29; 8:26, 28, 38; 14:2; 17:5.
कबूतर जैसे: कबूतरों का बलिदान चढ़ाया जाता था। (मर 11:15; यूह 2:14-16) इन्हें सीधेपन और शुद्धता की निशानी भी माना जाता था। (मत 10:16) नूह ने जिस कबूतर या फाख्ते को जहाज़ के बाहर भेजा था वह जैतून की एक पत्ती लेकर वापस आयी थी। इससे ज़ाहिर हुआ कि जलप्रलय का पानी कम हो रहा है (उत 8:11) और चैन और शांति का वक्त शुरू होनेवाला है (उत 5:29)। उसी तरह, यीशु के बपतिस्मे के वक्त यहोवा ने शायद कबूतर का इस्तेमाल यह बताने के लिए किया कि मसीहा के तौर पर यीशु क्या करेगा। वह इंसानों की खातिर अपना जीवन बलिदान करता क्योंकि वह पूरी तरह शुद्ध था और उसमें कोई पाप नहीं था। उसके बलिदान के आधार पर आगे चलकर उसके राज में चैन और शांति का दौर होगा। यीशु के बपतिस्मे के वक्त परमेश्वर की पवित्र शक्ति जब उसके ऊपर उतरी तो वह शायद पंख फड़फड़ाते हुए ऐसे कबूतर की तरह दिख रही थी जो कहीं बैठनेवाला हो।
स्वर्ग से यह आवाज़ सुनायी दी: खुशखबरी की किताबों में बताया गया है कि यहोवा ने तीन मौकों पर सीधे-सीधे इंसानों से बात की और यह पहला मौका था।—लूक 9:35; यूह 12:28 के अध्ययन नोट देखें।
तू मेरा . . . बेटा है: मर 1:11 का अध्ययन नोट देखें।
मैंने तुझे मंज़ूर किया है: मर 1:11 का अध्ययन नोट देखें।
अपनी सेवा शुरू की: या “अपना काम शुरू किया; सिखाना शुरू किया।” शा., “शुरू किया।” लूका ने इनका यूनानी शब्द प्रेष 1:21, 22 और 10:37, 38 में भी इस्तेमाल किया, जहाँ उसने धरती पर यीशु की सेवा शुरू करने की बात लिखी। यीशु की इस सेवा में प्रचार करना, सिखाना और चेले बनाना शामिल था।
जैसा माना जाता था: या शायद, “जैसा कानूनी तौर पर मान्य था।” कुछ विद्वानों का कहना है कि यही सही अनुवाद है क्योंकि यूनानी शब्द का यह भी मतलब हो सकता है। अगर इस अनुवाद को लिया जाए तो इसका मतलब होगा कि लूका ने यीशु की वंशावली के बारे में जो लिखा, वह उस समय की वंशावली के मौजूदा दस्तावेज़ों के मुताबिक कानूनी तौर पर मान्य था। लेकिन ज़्यादातर विद्वानों का मानना है कि नयी दुनिया अनुवाद में यह आयत जिस तरह अनुवाद की गयी है, वह सही है।
जैसा माना जाता था वह यूसुफ का बेटा था: यूसुफ असल में यीशु का दत्तक पिता था, क्योंकि यीशु का जीवन पवित्र शक्ति से मरियम के गर्भ में डाला गया था। लेकिन नासरत के लोगों ने यूसुफ और मरियम को उसकी परवरिश करते देखा था, इसलिए स्वाभाविक है कि उनकी नज़र में वह यूसुफ का बेटा था। मत 13:55 और लूक 4:22 जैसी दूसरी आयतों से भी यह बात पता चलती है, जहाँ नासरत के लोगों ने यीशु को “बढ़ई का बेटा” और “यूसुफ का बेटा” कहा। एक मौके पर जिन लोगों ने यीशु पर विश्वास नहीं किया उन्होंने कहा, “क्या यह यूसुफ का बेटा यीशु नहीं जिसके माता-पिता को हम जानते हैं?” (यूह 6:42) फिलिप्पुस ने भी नतनएल से कहा, ‘हमें वह मिल गया है। वह यीशु है, जो यूसुफ का बेटा है।’ (यूह 1:45) यहाँ लिखी लूका की बात से पुख्ता होता है कि यीशु को “यूसुफ का बेटा” इसलिए कहा गया क्योंकि लोगों का यही मानना था।
यूसुफ एली का: मत 1:16 में लिखा है, “याकूब से यूसुफ पैदा हुआ जो मरियम का पति था।” मगर लूका की किताब में लिखा है कि ‘यूसुफ एली का बेटा’ था। ज़ाहिर है कि वह एली का दामाद था। (इसके जैसे दूसरे मामले के लिए लूक 3:27 का अध्ययन नोट देखें।) यहूदियों का दस्तूर था कि जब वे नाना से नाती तक की वंशावली लिखते थे तो उसमें आदमियों के नाम होते थे। यही वजह रही होगी कि लूका ने बेटी मरियम के बजाय उसके पति का नाम लिखा और उसे बेटा कहा। सबूत दिखाते हैं कि लूका ने यीशु की वंशावली मरियम की तरफ से दी। इसलिए ऐसा लगता है कि एली मरियम का पिता और यीशु का नाना था।—मत 1:1, 16; लूक 3:27 के अध्ययन नोट देखें।
जरुबाबेल शालतीएल का . . . बेटा: हालाँकि कई आयतों में जरुबाबेल को ‘शालतीएल का बेटा’ कहा गया है (एज 3:2, 8; 5:2; नहे 12:1; हाग 1:1, 12, 14; 2:2, 23; मत 1:12), मगर एक आयत में उसे शालतीएल के भाई ‘पदायाह का बेटा’ कहा गया है। (1इत 3:17-19) जरुबाबेल शायद पदायाह का ही बेटा था, लेकिन ऐसा लगता है कि कानूनी तौर पर उसे शालतीएल का बेटा माना जाता था। हो सकता है कि पदायाह की मौत उस वक्त हो गयी जब जरुबाबेल छोटा था, इसलिए उसके बड़े भाई शालतीएल ने उसे अपने बेटे की तरह पाला हो। या फिर हो सकता है कि शालतीएल बेऔलाद मर गया हो और पदायाह ने उसकी विधवा से शादी की और उनका जो बेटा हुआ उसे शालतीएल का कानूनी वारिस माना गया हो।
शालतीएल नेरी का बेटा था: 1इत 3:17 और मत 1:12 के मुताबिक, शालतीएल यकोन्याह का बेटा था, न कि नेरी का। शायद शालतीएल ने नेरी की बेटी से शादी की, इसलिए वह नेरी का दामाद था। इस मायने में उसे “नेरी का बेटा” कहा जा सकता था। इब्री लोगों की वंशावलियों में दामाद को बेटा कहना आम था। शायद उसी तरह लूका ने यूसुफ को ‘एली का बेटा’ कहा, जो असल में मरियम का पिता था।—लूक 3:23 का अध्ययन नोट देखें।
यीशु: या “यहोशू (येशू)।” कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में यहाँ “योसे (या योसेस)” लिखा है।—मत 1:21 का अध्ययन नोट देखें।
नातान: दाविद और बतशेबा का बेटा, जिसके वंश से मरियम आयी थी। (2शम 5:13, 14; 1इत 3:5) मसीही यूनानी शास्त्र में नातान का ज़िक्र सिर्फ इसी आयत में किया गया है। यीशु की वंशावली के बारे में लूका ने जो लिखा, वह मत्ती से अलग है। दोनों सूचियों में ज़्यादातर नामों में जो फर्क है, इसकी एक बड़ी वजह यह है कि लूका ने दाविद के बेटे नातान से वंशावली लिखी, जबकि मत्ती ने दाविद के बेटे सुलैमान से। (मत 1:6, 7) ज़ाहिर है कि लूका ने मरियम की तरफ से वंशावली बतायी और दिखाया कि यीशु को दाविद की राजगद्दी पर बैठने का पैदाइशी हक था। वहीं दूसरी तरफ, मत्ती ने यीशु के कानूनी पिता यूसुफ की तरफ से वंशावली बतायी, जो सुलैमान का वंशज था और इस तरह दिखाया कि यीशु को दाविद की राजगद्दी पर बैठने का कानूनी हक था। मत्ती और लूका दोनों ने ज़ाहिर किया कि यूसुफ, यीशु का दत्तक पिता था।—मत 1:1, 16; लूक 3:23 के अध्ययन नोट देखें।
सलमोन: यूनानी में इसकी वर्तनी है “सला,” जो कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में पायी जाती है। लेकिन दूसरी प्राचीन हस्तलिपियों में “सलमोन” लिखा है। सलमोन ने यरीहो की रहनेवाली राहाब से शादी की थी और उनका बेटा बोअज़ था। (रूत 4:20-22; मत 1:4, 5) 1इत 2:11 में सलमोन के लिए इब्रानी में दूसरी वर्तनी है। वहाँ लिखा है, “सलमा का बेटा बोअज़ था।”
अरनी: यह “राम” (यूनानी में अरैम) का एक अलग रूप है जो मत 1:3, 4 में दिया गया है। पहला इत 2:9 में राम को ‘हेसरोन के बेटों’ में से एक बताया गया है और रूत 4:19 में लिखा है कि “हेसरोन से राम” पैदा हुआ। कुछ हस्तलिपियों में लूक 3:33 में “राम” लिखा है, लेकिन यहाँ “अरनी” इस्तेमाल करने का उचित आधार हस्तलिपियों में पाया जाता है।
शेलह केनान का . . . बेटा: ये शब्द कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में से हटा दिए गए हैं। ऐसा करना उत 10:24; 11:12, 13 और 1इत 1:18 के मसोरा पाठ से मेल खाता है, जहाँ वंशावलियों में शेलह को अरपक्षद का बेटा कहा गया है। लेकिन यूनानी सेप्टुआजेंट की मौजूदा कॉपियों में इन वंशावलियों में अरपक्षद के बजाय केनान नाम लिखा है। इन कॉपियों में से एक है, पाँचवीं सदी की कोडेक्स एलेक्ज़ैंड्रिनस। लूका की खुशखबरी की किताब की बहुत-सी हस्तलिपियों में ये शब्द दिए गए हैं: “शेलह केनान का . . . बेटा।” इसलिए बाइबल के ज़्यादातर अनुवादों में ये शब्द लिखे हैं।
आदम का: लूका ने यीशु की वंशावली आदम तक लिखी जो सभी इंसानों का पुरखा था। उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसका मकसद था यहूदी और गैर-यहूदी, सभी लोगों के लिए खुशखबरी लिखना। लेकिन ऐसा मालूम पड़ता है कि मत्ती ने अपनी खुशखबरी की किताब खासकर यहूदियों के लिए लिखी, इसलिए उसने यीशु की वंशावली सिर्फ अब्राहम तक दर्ज़ की। लूका ने अपनी किताब में बताया कि यीशु की सेवा से कैसे एक सामरी कोढ़ी को, एक अमीर कर-वसूलनेवाले को और एक चोर को फायदा पहुँचा है, जिसे काठ पर लटकाकर मार डाला गया था। इस तरह उसने ज़ाहिर किया कि मसीह के संदेश और कामों से हर तरह के लोगों का भला हो सकता है। यह एक और सबूत है कि लूका ने अपनी खुशखबरी की किताब सभी लोगों के लिए लिखी।—लूक 17:11-19; 19:2-10; 23:39-43.
आदम परमेश्वर का बेटा था: इन शब्दों से पता चलता है कि इंसान की शुरूआत कैसे हुई। यह बात उत्पत्ति की किताब से मेल खाती है, जिसमें बताया गया है कि पहले आदमी को परमेश्वर ने अपनी छवि में बनाया था। (उत 1:26, 27; 2:7) यह बात परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी दूसरी आयतों पर भी रौशनी डालती है, जैसे रोम 5:12; 8:20, 21 और 1कुर 15:22, 45.
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
तिबिरियुस का जन्म ईसा पूर्व 42 में हुआ था। ईसवी सन् 14 में वह रोम का दूसरा सम्राट बना और ईसवी सन् 37 के मार्च तक जीया। धरती पर यीशु की सेवा के दौरान वही सम्राट था। इसलिए जब यीशु ने कर का सिक्का दिखाकर कहा, “जो सम्राट का है वह सम्राट को चुकाओ,” तो उस वक्त तिबिरियुस राज कर रहा था।—मर 12:14-17; मत 22:17-21; लूक 20:22-25.
यहाँ जिस सिक्के को दोनों तरफ से दिखाया गया है वह ताँबे और दूसरी धातुओं से मिलकर बना है। यह सिक्का करीब उस समय ढाला गया था जब यीशु प्रचार कर रहा था। यह सिक्का हेरोदेस अन्तिपास ने चलवाया था, जो गलील और पेरिया का तित्रअर्खेस यानी ज़िला-शासक था। एक बार जब फरीसियों ने यीशु को बताया कि हेरोदेस उसे मार डालना चाहता है, तो उस वक्त यीशु शायद हेरोदेस के शासन-क्षेत्र पेरिया से होकर यरूशलेम जा रहा था। यह सुनकर यीशु ने हेरोदेस को “उस लोमड़ी” कहा। (लूक 13:32 का अध्ययन नोट देखें।) हेरोदेस की ज़्यादातर प्रजा यहूदी थी और वे सिक्कों को देखकर न चिढ़ें, इसलिए उसने ऐसे सिक्के ढलवाए जिन पर खजूर की डाली (1) और पत्तों का ताज (2) बना होता था।
बाइबल में जिन मूल शब्दों (इब्रानी में मिधबार और यूनानी में ईरेमोस ) का अनुवाद ‘वीराना’ या ‘वीरान इलाका’ किया गया है, उनका आम तौर पर मतलब होता है ऐसा इलाका जहाँ कहीं-कहीं घर होते हैं और खेती नहीं होती। लेकिन अकसर इन शब्दों का मतलब होता है, ऐसे मैदान जहाँ घास-फूस और झाड़ियाँ उगती हैं और जानवर चराए जाते हैं। इन शब्दों का मतलब रेगिस्तान भी हो सकता है जहाँ पानी नहीं होता। खुशखबरी की किताबों में जब वीराने की बात की गयी है तो आम तौर पर उसका मतलब है यहूदिया का वीराना। इसी वीराने में यूहन्ना रहता था और प्रचार करता था और यहीं शैतान ने यीशु को फुसलाया था।—मर 1:12.
बाइबल के ज़माने में जूतियाँ सैंडल की तरह होती थीं। उनका तला चमड़े, लकड़ी या किसी रेशेदार चीज़ से बना होता था। जूतियों में चमड़े के फीते होते थे जिनसे इन्हें पैरों में बाँधा जाता था। जूतियाँ कुछ किस्म के लेन-देन की निशानी के तौर पर इस्तेमाल की जाती थीं या फिर कोई बात समझाने के लिए उनकी मिसाल दी जाती थी। उदाहरण के लिए, कानून का पालन करते हुए एक विधवा उस आदमी की जूती उतार देती थी, जो उसके साथ देवर-भाभी विवाह करने से इनकार कर देता था। ऐसे आदमी का अपमान करने के लिए कहा जाता था, “उसका घराना जिसकी जूती उतार दी गयी है।” (व्य 25:9, 10) जब कोई अपनी संपत्ति दूसरे के नाम करता था या छुड़ाने का अपना हक दूसरे को देता था तो निशानी के तौर पर वह अपनी जूती उतारकर उसे दे देता था। (रूत 4:7) किसी की जूतियों के फीते खोलना या उन्हें उठाना छोटा काम माना जाता था, जो अकसर एक गुलाम करता था। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने इस रिवाज़ का ज़िक्र यह बताने के लिए किया कि वह मसीह की तुलना में छोटा है।
यहाँ तसवीर में दाँवने की पटिया की दो नकल हैं जिनका निचला हिस्सा (1) दिखाया गया है। पटिया के इस हिस्से में नुकीले पत्थर लगाए जाते थे। (यश 41:15) जैसे तसवीर (2) में दिखाया गया है, किसान खलिहान में अनाज के पूले फैला देता था और पटिया पर खड़े होकर उसे जानवर (जैसे बैल) से अनाज पर चलाता था। जानवर के खुरों से और पटिया के नीचे लगे नुकीले पत्थरों से अनाज के डंठल और बालें टूट जाती थीं और अनाज बाहर आ जाता था। फिर किसान अनाज फटकनेवाले काँटे या बेलचे (3) से दाँवा हुआ अनाज हवा में उछालता था। इससे भूसी हवा में उड़ जाती थी और अनाज नीचे ज़मीन पर गिर जाता था। दाँवने का काम इस बात की एकदम सही निशानी है कि यहोवा कैसे दुश्मनों का नाश करेगा। (यिर्म 51:33; मी 4:12, 13) यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने दाँवने की मिसाल देकर समझाया कि नेक लोगों को दुष्टों से कैसे अलग किया जाएगा।