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नहेमायाह की किताब

अध्याय

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सारांश

  • 1

    • यरूशलेम से खबर (1-3)

    • नहेमायाह की प्रार्थना (4-11)

  • 2

    • नहेमायाह को यरूशलेम भेजा गया (1-10)

    • वह शहरपनाह का मुआयना करता है (11-20)

  • 3

    • शहरपनाह का दोबारा बनना (1-32)

  • 4

    • विरोध के बावजूद काम आगे बढ़ा (1-14)

    • हथियार लिए कारीगर काम जारी रखते हैं (15-23)

  • 5

    • नहेमायाह ने अन्याय को रोका (1-13)

    • उसकी निस्वार्थ भावना (14-19)

  • 6

    • निर्माण काम का विरोध जारी (1-14)

    • शहरपनाह 52 दिनों में तैयार (15-19)

  • 7

    • शहर के फाटक और पहरेदार (1-4)

    • लौटनेवालों की सूची (5-69)

      • मंदिर के सेवक (46-56)

      • सुलैमान के सेवकों के बेटे (57-60)

    • काम के लिए दान (70-73)

  • 8

    • कानून पढ़कर मतलब समझाना (1-12)

    • छप्परों का त्योहार मनाना (13-18)

  • 9

    • लोग अपने पाप कबूल करते हैं (1-38)

      • यहोवा माफ करनेवाला परमेश्‍वर (17)

  • 10

    • लोग कानून पर चलने के लिए राज़ी (1-39)

      • ‘हम परमेश्‍वर के भवन की देखरेख में लापरवाही नहीं करेंगे’ (39)

  • 11

    • यरूशलेम में लोगों को बसाया (1-36)

  • 12

    • याजक और लेवी (1-26)

    • शहरपनाह का उद्‌घाटन (27-43)

    • मंदिर में सेवा के लिए दी मदद (44-47)

  • 13

    • नहेमायाह ने और भी सुधार किए (1-31)

      • दसवाँ हिस्सा दिया जाए (10-13)

      • सब्त को अपवित्र न किया जाए (15-22)

      • परायी औरतों से शादी करने की निंदा की गयी (23-28)