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मीका की किताब

अध्याय

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सारांश

  • 1

    • सामरिया और यहूदा को मिलेगी सज़ा (1-16)

      • इसकी वजह उनका पाप और अपराध (5)

  • 2

    • ज़ुल्म करनेवालों पर धिक्कार है! (1-11)

    • इसराएल को एकता में इकट्ठा करना (12, 13)

      • देश लोगों के शोर से गूँज उठेगा (12)

  • 3

    • अगुवे और भविष्यवक्‍ता धिक्कारे गए (1-12)

      • यहोवा की पवित्र शक्‍ति ने मीका को ताकत से भर दिया (8)

      • याजक सिखाने के पैसे माँगते हैं (11)

      • यरूशलेम मलबे का ढेर बन जाएगा (12)

  • 4

    • यहोवा का पर्वत ऊँचा किया जाएगा (1-5)

      • तलवारों को हल के फाल बनाएँगे (3)

      • ‘हम यहोवा का नाम लेकर चलेंगे’ (5)

    • बहाली के बाद सिय्योन शक्‍तिशाली (6-13)

  • 5

    • वह शासक जो पृथ्वी पर महान होगा (1-6)

      • वह बेतलेहेम से आएगा (2)

    • बचे हुए लोग ओस और शेर जैसे (7-9)

    • देश शुद्ध किया जाएगा (10-15)

  • 6

    • इसराएल के साथ परमेश्‍वर का मुकदमा (1-5)

    • यहोवा क्या चाहता है? (6-8)

      • न्याय, वफादारी, मर्यादा (8)

    • इसराएल का अपराध और सज़ा (9-16)

  • 7

    • इसराएल की बुरी हालत (1-6)

      • अपने ही घराने के लोग दुश्‍मन होंगे (6)

    • ‘मैं परमेश्‍वर के वक्‍त का इंतज़ार करूँगा’ (7)

    • परमेश्‍वर के लोग सही साबित हुए (8-13)

    • मीका की प्रार्थना; परमेश्‍वर की तारीफ की (14-20)

      • यहोवा का जवाब (15-17)

      • ‘यहोवा जैसा परमेश्‍वर कौन है?’ (18)