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यूहन्‍ना के मुताबिक खुशखबरी

अध्याय

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21

सारांश

  • 1

    • वचन इंसान बना (1-18)

    • यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले की गवाही (19-28)

    • यीशु, परमेश्‍वर का मेम्ना (29-34)

    • यीशु के शुरूआती चेले (35-42)

    • फिलिप्पुस और नतनएल (43-51)

  • 2

    • काना में शादी; पानी को दाख-मदिरा में बदला (1-12)

    • यीशु मंदिर को शुद्ध करता है (13-22)

    • यीशु जानता है, इंसान के दिल में क्या है (23-25)

  • 3

    • यीशु और नीकुदेमुस (1-21)

      • दोबारा पैदा होना (3-8)

      • परमेश्‍वर ने दुनिया से प्यार किया (16)

    • यीशु के बारे में यूहन्‍ना की आखिरी गवाही (22-30)

    • जो ऊपर से आता है (31-36)

  • 4

    • यीशु और सामरी औरत (1-38)

      • परमेश्‍वर की उपासना “पवित्र शक्‍ति और सच्चाई से” करना (23, 24)

    • कई सामरियों ने यीशु का यकीन किया (39-42)

    • यीशु ने अधिकारी के बेटे को ठीक किया (43-54)

  • 5

    • बेतहसदा में बीमार आदमी ठीक किया गया (1-18)

    • यीशु को उसके पिता ने अधिकार दिया है (19-24)

    • जो मर गए हैं, वे यीशु की आवाज़ सुनेंगे (25-30)

    • यीशु के बारे में गवाही (31-47)

  • 6

    • यीशु 5,000 को खिलाता है (1-15)

    • यीशु पानी पर चलता है (16-21)

    • यीशु “जीवन देनेवाली रोटी” (22-59)

    • यीशु की बात सुनकर कइयों का विश्‍वास डगमगा गया (60-71)

  • 7

    • यीशु डेरों के त्योहार के लिए गया (1-13)

    • त्योहार पर यीशु सिखाता है (14-24)

    • मसीह के बारे में अलग-अलग राय (25-52)

  • 8

    • पिता, यीशु के बारे में गवाही देता है (12-30)

      • यीशु “दुनिया की रौशनी” है (12)

    • अब्राहम के वंशज (31-41)

      • “सच्चाई तुम्हें आज़ाद करेगी” (32)

    • शैतान की औलाद (42-47)

    • यीशु और अब्राहम (48-59)

  • 9

    • यीशु एक जन्म के अंधे को ठीक करता है (1-12)

    • फरीसी उस आदमी से सवाल-जवाब करते हैं (13-34)

    • फरीसियों का अंधापन (35-41)

  • 10

    • चरवाहा और भेड़शालाएँ (1-21)

      • यीशु एक अच्छा चरवाहा है (11-15)

      • “मेरी दूसरी भेड़ें भी हैं” (16)

    • समर्पण के त्योहार पर यहूदियों से यीशु का सामना (22-39)

      • बहुत-से यहूदियों ने नहीं विश्‍वास किया (24-26)

      • “मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ सुनती हैं” (27)

      • बेटा, पिता के साथ एकता में है (30, 38)

    • यरदन के उस पार कई लोगों ने विश्‍वास किया (40-42)

  • 11

    • लाज़र की मौत (1-16)

    • मरियम और मारथा को यीशु दिलासा देता है (17-37)

    • यीशु, लाज़र को ज़िंदा करता है (38-44)

    • यीशु को मार डालने की साज़िश (45-57)

  • 12

    • मरियम, यीशु के पैरों पर तेल उँडेलती है (1-11)

    • यीशु राजा की हैसियत से दाखिल होता है (12-19)

    • यीशु अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है (20-37)

    • यहूदियों ने विश्‍वास नहीं किया जिससे भविष्यवाणी पूरी हुई (38-43)

    • यीशु दुनिया को बचाने आया (44-50)

  • 13

    • यीशु अपने चेलों के पैर धोता है (1-20)

    • यीशु बताता है कि उसे पकड़वानेवाला यहूदा है (21-30)

    • नयी आज्ञा (31-35)

      • “अगर तुम्हारे बीच प्यार होगा” (35)

    • यीशु ने कहा कि पतरस उसका इनकार करेगा (36-38)

  • 14

    • सिर्फ यीशु ही पिता के पास जाने की राह (1-14)

      • “मैं ही वह राह, सच्चाई और जीवन हूँ” (6)

    • यीशु वादा करता है कि पवित्र शक्‍ति आएगी (15-31)

      • “पिता मुझसे बड़ा है” (28)

  • 15

    • अंगूर की सच्ची बेल की मिसाल (1-10)

    • मसीह जैसा प्यार करने की आज्ञा (11-17)

      • “क्या कोई इससे बढ़कर प्यार कर सकता है” (13)

    • दुनिया यीशु के चेलों से नफरत करती है (18-27)

  • 16

    • यीशु के चेलों को मौत का सामना करना पड़ सकता है (1-4क)

    • पवित्र शक्‍ति का काम (4ख-16)

    • चेलों का दुख खुशी में बदल जाएगा (17-24)

    • यीशु ने दुनिया पर जीत हासिल की (25-33)

  • 17

    • प्रेषितों के साथ यीशु की आखिरी प्रार्थना (1-26)

      • हमेशा की ज़िंदगी के लिए परमेश्‍वर को जानना ज़रूरी (3)

      • मसीही दुनिया के नहीं (14-16)

      • “तेरा वचन सच्चा है” (17)

      • ‘मैंने तेरा नाम बताया है’ (26)

  • 18

    • यहूदा, यीशु के साथ गद्दारी करता है (1-9)

    • पतरस तलवार चलाता है (10, 11)

    • यीशु, हन्‍ना के पास ले जाया गया (12-14)

    • पतरस पहली बार इनकार करता है (15-18)

    • यीशु, हन्‍ना के सामने (19-24)

    • पतरस दूसरी और तीसरी बार इनकार करता है (25-27)

    • यीशु, पीलातुस के सामने (28-40)

      • “मेरा राज इस दुनिया का नहीं है” (36)

  • 19

    • यीशु को कोड़े लगाए गए, उसका मज़ाक उड़ाया गया (1-7)

    • पीलातुस फिर से यीशु से सवाल-जवाब करता है (8-16क)

    • यीशु को गुलगुता में काठ पर ठोंक दिया गया (16ख-24)

    • यीशु अपनी माँ की देखभाल का इंतज़ाम करता है (25-27)

    • यीशु की मौत (28-37)

    • यीशु को दफनाया गया (38-42)

  • 20

    • खाली कब्र (1-10)

    • यीशु, मरियम मगदलीनी के सामने प्रकट होता है (11-18)

    • यीशु, अपने चेलों के सामने प्रकट होता है (19-23)

    • थोमा शक करता है; फिर यकीन करता है (24-29)

    • इस खर्रे का मकसद (30, 31)

  • 21

    • यीशु चेलों के सामने प्रकट होता है (1-14)

    • पतरस बार-बार कहता है कि उसे यीशु से प्यार है (15-19)

      • “मेरी छोटी भेड़ों को खिला” (17)

    • यीशु के प्यारे चेले का भविष्य (20-23)

    • समाप्ति (24, 25)