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सभोपदेशक की किताब

अध्याय

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सारांश

  • 1

    • सबकुछ व्यर्थ है (1-11)

      • पृथ्वी हमेशा कायम रहती है (4)

      • प्राकृतिक चक्र चलते रहते हैं (5-7)

      • दुनिया में कुछ भी नया नहीं होता (9)

    • इंसान की बुद्धि सीमित है (12-18)

      • हवा को पकड़ने जैसा है (14)

  • 2

    • सुलैमान के कामों पर एक नज़र (1-11)

    • इंसान की बुद्धि की एक सीमा है (12-16)

    • कड़ी मेहनत व्यर्थ होती है (17-23)

    • खाओ-पीओ और मेहनत करो (24-26)

  • 3

    • हर चीज़ का एक समय होता है (1-8)

    • खुशहाल ज़िंदगी परमेश्‍वर की देन (9-15)

      • इंसान में हमेशा तक जीने का विचार (11)

    • परमेश्‍वर सच्चाई से न्याय करता है (16, 17)

    • आखिर में इंसान और जानवर, दोनों मर जाते हैं (18-22)

      • सब मिट्टी में मिल जाते हैं (20)

  • 4

    • ज़ुल्म मौत से बदतर है (1-3)

    • काम के बारे में सही नज़रिया (4-6)

    • दोस्त की अहमियत (7-12)

      • एक से भले दो (9)

    • शासक की ज़िंदगी भी व्यर्थ है (13-16)

  • 5

    • परमेश्‍वर का डर मानकर उसके पास जा (1-7)

    • निचले अधिकारियों पर ऊँचे अधिकारी की नज़र (8, 9)

    • धन-दौलत व्यर्थ है (10-20)

      • पैसों से प्यार करनेवाले का मन नहीं भरता (10)

      • मज़दूर को मीठी नींद आती है (12)

  • 6

    • अपनी चीज़ों का मज़ा नहीं ले पाता (1-6)

    • तेरे पास जो है उसका मज़ा ले (7-12)

  • 7

    • अच्छा नाम और मौत का दिन (1-4)

    • बुद्धिमान की फटकार (5-7)

    • शुरूआत से अंत अच्छा (8-10)

    • बुद्धि के फायदे (11, 12)

    • अच्छे और बुरे दिन (13-15)

    • हद-से-ज़्यादा कुछ मत कर (16-22)

    • उपदेशक नतीजे पर पहुँचता है (23-29)

  • 8

    • पापी इंसानों का राज (1-17)

      • राजा का हुक्म मान (2-4)

      • इंसान हुक्म चलाकर दुख लाया है (9)

      • जब सज़ा जल्दी नहीं मिलती (11)

      • खाओ-पीओ और खुशियाँ मनाओ (15)

  • 9

    • सबका एक ही अंजाम होता है (1-3)

    • जब तक ज़िंदगी है, उसका मज़ा लो (4-12)

      • मरे हुए कुछ नहीं जानते (5)

      • कब्र में कोई काम नहीं (10)

      • मुसीबत की घड़ी और हादसा (11)

    • हमेशा बुद्धि की कदर नहीं की जाती (13-18)

  • 10

    • ज़रा-सी बेवकूफी से समझदार का नाम खराब (1)

    • काम न जानना खतरनाक है (2-11)

    • मूर्ख की दुर्दशा (12-15)

    • शासकों की मूर्खता (16-20)

      • कोई चिड़िया तेरी बात दोहरा दे (20)

  • 11

    • मौके का फायदा उठा (1-8)

      • अपनी रोटी नदी में डाल दे (1)

      • सुबह से शाम तक बीज बो (6)

    • जवानी का मज़ा सही तरीके से ले (9, 10)

  • 12

    • बुढ़ापे से पहले सृष्टिकर्ता को याद रख (1-8)

    • उपदेशक का निचोड़ (9-14)

      • बुद्धि की बातें अंकुश की तरह हैं (11)

      • सच्चे परमेश्‍वर का डर मान (13)