सवाल 2
आप परमेश्वर के बारे में कैसे सीख सकते हैं?
“कानून की इस किताब को अपने मुँह से दूर न करना, दिन-रात इसे धीमी आवाज़ में पढ़ना ताकि तू इसकी एक-एक बात का अच्छे-से पालन कर सके। तब तू कामयाब होगा और बुद्धिमानी से चल पाएगा।”
“लेवी सच्चे परमेश्वर के कानून की किताब पढ़कर सुनाते रहे। वे उसमें लिखी बातें खुलकर समझाने और उनका मतलब बताने लगे। इस तरह, पढ़ी जानेवाली बातों को समझने में उन्होंने लोगों की मदद की।”
“सुखी है वह इंसान जो दुष्टों की सलाह पर नहीं चलता . . . मगर वह यहोवा के कानून से खुशी पाता है, दिन-रात उसका कानून धीमी आवाज़ में पढ़ता है। . . . वह आदमी अपने हर काम में कामयाब होगा।”
“फिलिप्पुस उस रथ के साथ-साथ दौड़ने लगा और उसने खोजे को भविष्यवक्ता यशायाह की किताब पढ़ते सुना और उससे पूछा, ‘तू जो पढ़ रहा है, क्या उसे समझता भी है?’ उसने कहा, ‘जब तक कोई मुझे न समझाए, मैं भला कैसे समझ सकता हूँ?’”
“उसके अनदेखे गुण दुनिया की रचना के वक्त से साफ दिखायी देते हैं यानी यह कि उसके पास अनंत शक्ति है और सचमुच वही परमेश्वर है। ये गुण उसकी बनायी चीज़ों को देखकर अच्छी तरह समझे जा सकते हैं, इसलिए उनके पास परमेश्वर पर विश्वास न करने का कोई बहाना नहीं बचता।”
“इन बातों के बारे में गहराई से सोचता रह और इन्हीं में लगा रह ताकि तेरी तरक्की सब लोगों को साफ दिखायी दे।”
“आओ हम एक-दूसरे में गहरी दिलचस्पी लें ताकि एक-दूसरे को प्यार और भले काम करने का बढ़ावा दे सकें और एक-दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें।”
“अगर तुममें से किसी को बुद्धि की कमी हो तो वह परमेश्वर से माँगता रहे और वह उसे दी जाएगी, क्योंकि परमेश्वर सबको उदारता से और बिना डाँटे-फटकारे देता है।”