गीत 117
भलाई करें
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1. तू भलाई है करता याह,
तेरे लाखों हैं उपकार।
तेरी नेकी के ही कारण,
पाते आशीषें हज़ार।
दिल दुखाते कितना तेरा,
फिर भी करता तू कृपा।
भक्-ति तेरी ही करेंगे
जीवन-भर खुशी से याह।
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2. जब भलाई से चलें हम
तेरे लोग कहला सकें।
दिखे हम में तेरी खूबी
जब खुशखबरी सब को दें।
हर कहीं मन अपना भागे,
नेकी पे ये ना टिके;
याह, पवित्र शक्-ति दे तू,
भटके ना ये नेकी से।
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3. याह, हम माँगें तेरी आशीष,
कर सकें कृपा सब पे;
पर कृपा हम करें पहले
अपने भा-ई-बह-नों पे।
प-रि-वार में, मं-ड-ली में,
आस-पड़ोस, हाँ, हर जगह;
काम भलाई के करें हम
तेरी शक्-ति से ही याह!
(भज. 103:10; मर. 10:18; गला. 5:22; इफि. 5:9 भी देखें।)