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गीत 81

पायनियर की ज़िंदगी

पायनियर की ज़िंदगी

(सभोपदेशक 11:6)

  1. 1. दिन नया है उगा, अब उजाला होगा;

    आँखें हैं अधखुली

    पर हम करते हैं याह से दुआ।

    ले मुसकान होंठों पे, मिलते हैं लोगों से।

    आते-जाते कई

    पर हम रहते खड़े, वहीं पे।

    (कोरस)

    चुनी राह ये हमने,

    जीएँ याह के लिए,

    हम करेंगे वो जो भी कहे।

    रहे धूप या बरखा,

    सब सहेंगे सदा।

    यूँ करें याह से रोज़ अपने प्यार का इज़हार।

  2. 2. लो अब दिन है ढला, हो रहा अँधेरा;

    थक गए पर हैं खुश

    और हम करते याह का शुक्रिया।

    अपनी ये ज़िंदगी हमें प्यारी लगे।

    हाँ, मिलती हैं याह से

    हमें रोज़ कितनी ही आशीषें।

    (कोरस)

    चुनी राह ये हमने,

    जीएँ याह के लिए,

    हम करेंगे वो जो भी कहे।

    रहे धूप या बरखा,

    सब सहेंगे सदा।

    यूँ करें याह से रोज़ अपने प्यार का इज़हार।